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एक तस्वीर ने बदला सिंधु का खेल, बीच के पन्ने से निकल कैसे बनी कवर गर्ल
भारतीय बैडमिंटन की स्टार प्लेयर पी वी सिंधु आज स्पोर्ट्स मैगज़ीन की कवर गर्ल है लेकिन एक समय था जब उन्हें बीच के पन्नों में जगह मिलती थी. इन्हीं तस्वीरों को देखने के बाद सिंधु ने ठान लिया कि उन्हें कवर पेज पर जगह बनानी है. रियो ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने के साथ ही सिंधु ने इसे साबित भी कर दिया.
क्रिकेट के दीवाने देश में बैडमिंटन का लोकप्रियता ग्राफ बढाने का श्रेय दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी और ओलंपिक मेडल विजेता साइना नेहवाल के साथ सिंधू को भी जाता है.
सिंधु ने स्पोर्ट स्टार मैगज़ीन के नए लुक के लॉन्च के मौके पर कहा ,‘‘जब मैंने खेलना शुरू किया था तो यह जिज्ञासा रहती थी कि अखबार में फोटो या जीत की खबर छपी है या नहीं. स्पोर्ट स्टार में एक बार बीच के पन्ने पर मेरी तस्वीर थी और मैं बहुत खुश हो गई. मैने उस दिन तय किया कि एक दिन फ्रंट पेज पर जगह बनाऊंगी.’’
विश्व चैम्पियनशिप सिल्वर मेडल विजेता हैदराबाद की इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘ओलंपिक के बाद भारत में बैडमिंटन का ग्राफ बढा है. क्रिकेट से तुलना की अगर बात करें तो पिछले कुछ साल में बैडमिंटन ने काफी तरक्की की है.’’
सिंधू और साइना के कोच और ऑल इंग्लैंड चैम्पियन रह चुके पुलेला गोपीचंद से जब पूछा गया कि बतौर कोच या बतौर खिलाड़ी जब खबर छपती है तो ज्यादा खुशी कब होती है, इस पर उन्होंने कहा कि बतौर खिलाड़ी मिलने वाली खुशी का कोई मुकाबला नहीं है.
उन्होंने कहा ,‘‘खिलाड़ी के तौर पर जब आपकी जीत की खबर छपती है तो बहुत खुशी होती है. एक खिलाड़ी के लिए इसके क्या मायने हैं, यह बयां नहीं किया जा सकता. मेरी पीढी में पैसा नहीं बल्कि यह संतोष सबसे अहम था.’’
गोपीचंद ने अपने खेलने के दिनों का उदाहरण देते हुए कहा ,‘‘उस समय मैं ऑस्ट्रिया में जीता था और मैने अपनी मम्मी को आईएसडी कॉल किया था. यह पूछने के लिये कि मेरी फोटो या खबर अखबार में छपी या नहीं और ना सुनकर काफी निराशा हुआ था. उस समय अखबार में अपना नाम देखने को हम तरस जाते थे.’’