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चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए इंडियन आर्मी का तगड़ा प्लान, लद्दाख में तैनात किए ये नए हथियार
भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध चौथे वर्ष में प्रवेश कर गया है, भारतीय सेना आपातकालीन स्थितियों से निपटने के साथ-साथ पारंपरिक अभियानों को अंजाम देने के लिए पूर्वी लद्दाख सेक्टर में लगातार नए हथियार और क्षमताएं जोड़ रही है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक हाल ही में सेना ने भारत में निर्मित धनुष होवित्जर (Dhanush Howitzer ) को शामिल किया है जिसे बोफोर्स हॉवित्जर (Bofors howitzers) के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के आधार पर विकसित किया गया है और इसे और अधिक उन्नत बनाया गया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक आर्टिलरी रेजिमेंट के कैप्टन वी मिश्रा ने कहा कि धनुष होवित्जर 48 किलोमीटर तक टारगेट पर हमला कर सकता है और इसे पिछले साल ही पूर्वी लद्दाख सेक्टर में शामिल किया गया है. पूर्ववर्ती आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा विकसित और निर्मित 114 बंदूकें भी भारतीय सेना में शामिल होंगी.
एम4 क्विक रिएक्शन फोर्स व्हीकल
एक और मेड इन इंडिया प्लेटफॉर्म एम4 क्विक रिएक्शन फोर्स व्हीकल (M4 Quick Reaction Force Vehicles) है जो सैनिकों को तेज गति से ले जाने के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है. यह युद्ध के लिए तैयार 10 सशस्त्र सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) की फॉरवर्ड लोकेशंस पर ले जा सकता है. सेक्टर में तैनात सेना के अधिकारियों ने कहा कि लद्दाख सेक्टर के कठिन इलाके में भी यह लगभग 60-80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ सकता है.
ऐसे हल्के कवच-संरक्षित वाहनों की आवश्यकता तब महसूस की गई जब सैन्य गतिरोध के शुरुआती चरणों में आमने-सामने की स्थिति के दौरान प्रतिद्वंद्वी सैनिक अग्रिम स्थानों तक जल्दी पहुंचने के लिए अपने तेज गति वाले वाहनों का उपयोग कर रहे थे.
एम4 क्विक रिएक्शन फोर्स वाहनों को पिछले साल बल में शामिल किया जाना शुरू हुआ था. सेना की पूर्वी लद्दाख सेक्टर के फॉरवर्ड एरिया में अधिक संख्या में ऐसे वाहनों को शामिल करने की योजना है.
ऑल-टेरेन वाहनों को भी किया गया शामिल
2020 के गतिरोध के बाद ऑपरेशनों को अंजाम देने में मदद के लिए उपकरण खरीदने के लिए सरकार द्वारा दी गई आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग करते हुए, सेना ने बड़ी संख्या में ऑल-टेरेन वाहनों (All-Terrain Vehicles) को भी शामिल किया है.
एक बार में चार से छह सैनिकों को ले जाने की क्षमता वाले इन वाहनों का इस्तेमाल वहां सैनिकों को बनाए रखने के लिए अग्रिम चौकियों पर सामान और उपकरण ले जाने के लिए किया जा रहा है.
इनका उपयोग सैनिकों को उन स्थानों पर ले जाने के लिए भी किया जा सकता है जहां आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए सैनिकों को अपने उपकरणों के साथ तेजी से तैनात करना पड़ता है. इन वाहनों ने अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी काम करने की क्षमता दिखाई है, जिनमें वे स्थान भी शामिल हैं जहां 2020 में शुरू हुए गतिरोध के बाद पहली बार बलों को तैनात किया गया है.
टाटा रजक प्रणाली
निगरानी उपकरणों को भी मजबूत किया गया है. नई टाटा रजक प्रणाली (Tata Rajak System) को बल में शामिल किया गया है जो 15 किलोमीटर से अधिक दूरी से मनुष्यों और 25 किलोमीटर से अधिक दूरी से वाहनों पता लगा सकती है है. नए उपकरण सेनाओं को एलएसी के पार विरोधियों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद कर रहे हैं.
सेना पूर्वी लद्दाख सेक्टर में मेड इन इंडिया K-9 वज्र स्व-चालित तोपखाने बंदूकों को शामिल करने की भी योजना बना रही है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इनका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है. सेना को ऐसी 100 से अधिक बंदूकें मिल सकती हैं जिनकी आपूर्ति एलएंडटी समूह ने अपने हजारा प्लांट से की है. दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों से निपटने के लिए सैनिकों को भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें प्रदान की हैं.
आपातकालीन शक्तियों के माध्यम से किए गए प्रत्यक्ष अधिग्रहण के बाद, निकट भविष्य में मेक इन इंडिया मार्ग से ऐसी तीसरी पीढ़ी की मिसाइलों की अधिक संख्या में उपलब्ध होने की उम्मीद है.