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उत्तराखंड: जंगल में आग को लेकर तस्करों पर शक की सुई, अब तक चार गिरफ्तार
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- May 02, 2016
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उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर करीब 90 दिन बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है. विनाशकारी हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आग फैलते हुए देहरादून और ऋषिकेश तक पहुंच गई है. आग लगने के पीछे कारण अब तक स्पष्ट नहीं है. हालांकि कड़ी माफिया और भू-माफिया पर भी शक होने के आधार पर अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
जंगलों में लगी से आग से उत्तराखंड के सभी 13 जिले प्रभावित हैं. नैनीताल में रामनगर के जंगलों से लेकर देहरादून के शिवालिक रेंज में भी आग का कहर बरपा है.
6000 से ज्यादा कर्मचारी काबू पाने में जुटे
पीएमओ, एनडीआरएफ, गृह और पर्यावरण मंत्रालय स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. केंद्र की चार सदस्यीय एक्सपर्ट टीम पहले से ही राज्य में मौजूद है और आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स के MI-17 हेलीकॉप्टरों की मदद भी ली जा रही है. बताया जा रहा है कि आग पर काबू पाने में अभी तीन से चार दिन का समय और लग सकता है. एनडीआरएफ की तीन टीमों के अलावा 6000 से ज्यादा कर्मचारी आग पर काबू पाने की कोशिश में जुटे हैं.
WATCH: Latest visuals of #UttarakhandForestFire, 2270 hectares of forest area affected (Visuals from Uttarkashi)https://t.co/CljQDK1cJY
— ANI (@ANI_news) May 2, 2016
2 फरवरी को सामने आई थी पहली घटना
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आग के कारणों की जांच बाद में होगी. अभी प्राथमिकता आग पर काबू पाने की है. उन्होंने बताया कि पूरे मामले में शक के आधार पर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस साल 2 फरवरी को जंगलों में आग लगने की पहली घटना सामने आई थी. साल 2012 में भी उत्तराखंड के जंगलों में ऐसी ही आग लगी थी. तब करीब दो हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में नुकसान हुआ था.
हिमाचल प्रदेश में भी आग का कहर
हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी करीब 400 हेक्टेयर वन भूमि में आग फैली है. राज्य के शिमला, सिरमौर, सोलन, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी जिले आग से प्रभावित हैं. अकेले शिमला में ही करीब 100 हेक्टेयर में आग लगी. शिमला में वन विभाग के कर्मचारी स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं. इस काम में सैटेलाइट की भी मदद ली जा रही है.
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में भी आग का कहर देखा जा रहा है. धुंध की वजह से एयरफोर्स के ऑपरेशन में थोड़ी देरी हुई. फिलहाल आग बुझाने की कोशिशें जारी हैं.
ये भी हो सकता है आग लगने का बड़ा कारण
जंगलों में आग लगने के पीछे तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. जिनमें से एक वजह लकड़ी माफिया को भी बताया जा रहा है. दरअसल, जंगल की जली हुई और खराब लकड़ी नीलामी के जरिए बेची जाती है. अब तक की आग में हजारों की संख्या में पेड़ जल चुके हैं, उन्हें बेचने से वन विकास प्राधिकरण को काफी पैसा मिलेगा और इससे लकड़ी माफिया को भी बड़ा फायदा होगा. इसके साथ ही आग लगने की वजह से जो जंगल नष्ट हो गए हैं वहां की जमीन दूसरे कामों के लिए बेची जा सकती है, इससे बिल्डर लॉबी को बड़ा फायदा होगा.