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कन्हैया पर भड़का HC, कहा, अनशन खत्म करवाओ तब सुनेंगे याचिका
कन्हैया पर भड़का HC, कहा, अनशन खत्म करवाओ तब सुनेंगे याचिका
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार से छात्रों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को तत्काल समाप्त करने के लिए कहा है। अदालत ने कहा कि वह विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिकाओं पर तभी सुनवाई करेगा, जब वे आंदोलन खत्म करेंगे। अदालत ने कन्हैया से यह हलफनामा भी मांगा कि वह विश्वविद्यालय को सही ढंग से काम करने देंगे और वहां कोई आंदोलन नहीं होगा।
न्यायाधीश मनमोहन ने कहा, ‘‘आप (कन्हैया) पिछले 16 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को आंदोलन खत्म करने के लिए ‘स्पष्ट तौर पर’ कह सकते हैं और विश्वविद्यालय को ‘उचित ढंग से काम करने’ दे सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि आपको तत्काल हड़ताल वापस लेनी होगी। कोई भी भूख हड़ताल पर बैठा हुआ नहीं होना चाहिए।’’
अदालत ने वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन से कन्हैया को यह कहने के लिए कहा कि वह छात्रों से हड़ताल खत्म करने को कहे। अदालत ने कहा कि आप (कन्हैया) छात्र नेता हैं और यदि आप छात्रों से कहेंगे तो वे आपकी बात मानेंगे और उनकी हड़ताल समाप्त कर देंगे। आप इस आंदोलन को वापस लीजिए क्योंकि आप एेसा कर सकते हैं।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि आप हमारे निर्देशों का पालन करते हैं, तभी मैं अपने समक्ष आई याचिकाओं पर सुनवाई करूंगा।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘न्यायपालिका में यकीन रखिए। आपको एक हलफनामा देना होगा कि आप हड़ताल खत्म कर रहे हैं और कॉलेज को उचित ढंग से काम करने देंगे। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई आंदोलन नहीं होगा।’’ अदालत ने कन्हैया के वकील से कहा कि वह उन्हें हड़ताल खत्म करने के लिए मनाएं। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की आेर से अदालत में पेश हुए वकील और अन्य ने कहा कि वे छात्रों से संपर्क करके अदालत को वापस बताएंगे। अदालत ने छात्र नेता की आेर से कोई जवाब दिए जाने तक के लिए मामले को स्थगित कर दिया है। विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती देने वाली कन्हैया कुमार और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान अदालत ने ये निर्देश दिए।
कन्हैया, अश्वती ए नायर, एेश्वर्या अधिकारी, कोमल मोहिते, चिंटू कुमारी, अनवेषा चक्रवर्ती और दो अन्य ने उनके खिलाफ जारी किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती दी थी। उमर खालिद और अनिर्बाण भट्टाचार्य ने इस सप्ताह उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ अदालत का रूख किया था। उमर पर 20 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अनिर्बाण को जेएनयू परिसर में 23 जुलाई से लेकर पांच साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस साल नौ फरवरी को आयोजित हुए विवादास्पद समारोह के चलते कन्हैया, अनिर्बाण और उमर पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। इनपर विश्वविद्यालय ने 10 हजार रूपए का जुर्माना लगाया था।
नौ फरवरी को जेएनयू में हुए इस विवादित समारोह के संबंध में उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों और कुछ अन्य छात्रों के खिलाफ विभिन्न कार्रवाइयां की गई थीं। इनमें बर्खास्तगी से लेकर, विश्वविद्यालय में आने पर प्रतिबंध और जुर्माना आदि शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत का रूख करके विश्वविद्यालय द्वारा इनपर लगाए गए जुर्मानों को चुनौती दी है। बाद में छात्रों ने कहा कि यदि उन्हें विश्वविद्यालय की किसी भी कार्रवाई से सुरक्षा देने का आश्वासन दिया जाता है तो वे आंदोलन वापस लेने के लिए ‘तैयार हो सकते’ हैं।
दोपहर के भोजन से ठीक पहले छात्रों के वकीलों ने अदालत को बताया कि वे तभी अपनी हड़ताल वापस लेने के लिए राजी हो सकते हैं, यदि सुनवाई की अगली तारीख, 30 मई तक उन्हें सुरक्षा दी जाती है। पीठ ने कहा कि छात्रों को न्यायपालिका में ‘विश्वास’ रखना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने छात्रों से कहा कि वे ‘इस स्थिति’ (मौजूदा स्थिति) को बरकरार रों और ‘हड़ताल वापस ले लें’। जेएनयू छात्रों की वकील ने कहा कि वह छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर निर्देश लेंगी और अदालत को सूचित करेंगी। इन सभी ने विश्वविद्यालय द्वारा इनपर लगाए गए जुर्मानों को चुनौती दी है। इसके साथ ही इन्होंने दो छात्रों से हॉस्टल सुविधाएं वापस लिए जाने को भी चुनौती दी है। इन दो छात्रों में से एक लड़की है।
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