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यूपी: किसानों ने किया कमाल, कभी आयात करते थे टमाटर, अब खिलाते हैं बांग्लादेश को

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farming of tomato by farmers of amroha of uttar pradesh
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में कभी टमाटर बाहर से मंगाया जाता था। एक दशक में पूरी तस्वीर बदल गई है। अब यहां का टमाटर बांग्लादेश खा रहा है। इसे कोलकाता के रास्ते बांग्लादेश भेजा जा रहा है। यहां का टमाटर पंजाब को पछाड़ कर दक्षिण में भी बंगलूरू के बाजार पर कब्जा जमाने की तैयारी में है। रोजाना करीब 3000 क्विंटल टमाटर कोलकाता भेजा जा रहा है। इसके अलावा करीब एक हजार क्विंटल टमाटर की सप्लाई रोजाना उत्तराखंड, बिहार, दिल्ली के लिए भी हो रही है।

अमरोहा के किसान एक दशक पहले तक खेतीबाड़ी में काफी पिछड़े थे। देसी टमाटर वह भी कम मात्रा में पैदा होता था। इसके दाम भी कम मिलते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। महाराष्ट्र के नासिक से यहां के किसान फल, सब्जी की पैकिंग में कुशलता हासिल कर लौटे तो क्रांति कर दी। टमाटर की खेती में उन्होंने बड़े-बड़े उत्पादक जिलों को भी पछाड़ दिया है। करीब दस हजार बीघे में नासिक की क्वालिटी के टमाटर की पैदावार की गई है। अमरोहा के आसपास के गांव टमाटर के हब बन चुके हैं।

अब तक नासिक का टमाटर ही पाकिस्तान और बंगलादेश भेजा जाता था, लेकिन अब अमरोहा के टमाटर ने बंगलादेश की मंडी में अपनी अलग पहचान बनाई है। अप्रैल माह में नासिक का टमाटर आना बंद हुआ, तो अमरोहा के टमाटर की डिमांड बढ़ गई। क्योंकि महाराष्ट्र के नासिक और अमरोहा के टमाटर की क्वालिटी एक समान है। कोलकाता से बड़े पैमाने पर आर्डर मिला है। रोजाना करीब 3000 क्विंटल टमाटर कलकत्ता भेजा जा रहा है। इधर, बंगलूरू से भी टमाटर का आर्डर मिला है। पहले यहां पंजाब का टमाटर जाता है, लेकिन अब बंगलूरू के व्यापारियों ने पंजाब के साथ-साथ अमरोहा से भी टमाटर मंगवाना शुरू किया है। बंगलूरू, उत्तराखंड और बिहार रोजाना एक हजार क्विंटल टमाटर की सप्लाई हो रही है।

किसान भी हुए खुशहाल

स्थानीय मंडी में टमाटर दस रुपये प्रति किलो (फुटकर) में बिक रहा है। जबकि कलकत्ता, बंगलूरू, बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली के व्यापारी सीधे किसान से दस से बारह रुपये प्रति किलो में टमाटर खरीद रहे हैं। अच्छा मुनाफा होने के कारण गांव सूदनपुर और सलारपुर के समस्त किसानों ने 95 फीसदी जमीन में सिर्फ टमाटर की खेती की है। टमाटर से इन दोनों गांवों के किसान साधन संपन्न हो चुके हैं। इनके अलावा टमाटर की खेती से जुड़ा हर किसान संपन्न और खुशहाल है। गांव सूदनपुर के पूर्व प्रधान अरविंद सैनी कहते हैं, टमाटर की खेती से किसानों में खुशहाली आई है।

तीन क्वालिटी में होती है छंटाई
टमाटर की छंटाई तीन क्वालिटी में होती है। पहली क्वालिटी की छंटाई लोडिंग के हिसाब से की जाती है। ताकि लंबे समय तक टमाटर खराब न हो। हल्का हरा या पीलापन लिए टमाटर नंबर वन क्वालिटी का होता है। दूसरी क्वालिटी लाल हो जाती है, जिसे स्थानीय मंडी या आसपास की मंडी में बेचा जाता है जबकि तीसरी क्वालिटी का टमाटर खराब होता है। जिसे छंटाई के बाद फेंक दिया जाता है।

जून में और महंगा हो जाएगा टमाटर
आढ़ती सर्वेश सैनी कहते हैं, बाहर की मंडी में टमाटर के अच्छे दाम मिल रहे हैं। जून माह में बारिश शुरू होने के बाद टमाटर की फसल पर संकट मंडराने लगता है और टमाटर के दाम बढ़ जाते हैं। पिछली बार बीस रुपये प्रति किलोग्राम तक रेट मिले थे। अगस्त तक मंडी में अमरोहा का टमाटर रहेगा। इसके बाद उत्तराखंड का टमाटर आना शुरू हो जाता है।

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