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चीनी मीडिया का मोदी पर हमला, कहा- तिकड़म लगाकर MSR को लटकाया
बीजिंग। एक चीनी दैनिक ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन की महत्वाकांक्षी योजना ‘मैरीटाइम सिल्क रोड’’ के प्रति ‘‘समर्थन जाहिर’’ किया था लेकिन नरेन्द्र मोदी ने इसे लटकाए रखने की तिकड़म का इस्तेमाल कर इस पहल के प्रति भारत के नजरिए को बदल दिया।
सरकारी ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख कहता है कि भारतीय रणनीतिकार और सरकार मानती है कि ‘बेल्ट एंड रोड ’ : सिल्क रोड पहल के पीछे कोई भौगौलिक रणनीति है। अब , भारत ने इसका विरोध और इसमें देरी का रवैया अपनाना शुरू कर दिया है और वह पहल के विभिन्न पहलुओं को लेकर अपने हितों को देख रहा है। सरकारी शंघाई इंस्टीट्यूट फोर इंटरनेशनल स्टडीज के फेलो लियू जोंग्यी द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि जब चीन ने वर्ष 2013 में एमएसआर की पहल की थी तो तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने इसके प्रति समर्थन जताते हुए रुचि जाहिर की थी। लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद एमएसआर के प्रति भारत का नजरिया बदल दिया है।
चीनी मीडिया का मोदी पर हमला, कहा- तिकड़म लगाकर MSR को लटकाया
एक चीनी दैनिक ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन की महत्वाकांक्षी योजना ‘मैरीटाइम सिल्क रोड’’ के प्रति ‘‘समर्थन जाहिर’’ किया था लेकिन नरेन्द्र मोदी ने इसे लटकाए रखने की ….
इसमें कहा गया है कि शुरुआत से ही भारत को हिंद महासागर में एमएसआर के रणनीतिक प्रभाव को लेकर नाराजगी रही है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारत ने पहले इस परियोजना का ब्यौरा मांगा जबकि इसकी रुपरेखा वर्ष 2014 में जारी की गयी थी। लेख में कहा गया है कि विशाल बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा एमएसआर का अंतिम ब्लूप्रिंट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा पिछले साल ही मार्च में बोआओ फोरम फोर एशिया में जारी किया गया था जिस समय मोदी सरकार पूरी तरह सत्ता पर अपनी पकड़ बना चुकी थी।
उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने जून में अपनी बीजिंग यात्रा के दौरान कहा था कि नयी दिल्ली ने एमएसआर के बारे में और ब्यौरा मांगा है । चीन की सिल्क रोड योजना के तहत चीन को एशिया तथा यूरोप से जोड़ने वाली सड़कों तथा गलियारों का निर्माण करना है । एमएसआर और बीसीआईएम के अलावा इस योजना में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) तथा मध्य एशिया और यूरोप को जोड़ने वाले रेल एवं सड़क मार्ग का निर्माण करना है। भारत पहले ही सीपीईसी के प्रति अपनी आपत्तियां जाहिर कर चुका है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगा।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले साल अपनी बीजिंग यात्रा के दौरान कहा था कि भारत एमएसआर परियोजना को आंख मूंद कर समर्थन नहीं देगा और केवल उसी जगह पर समर्थन करेगा जहां दोनों देशों के हित मेल खाते होंगे। एमएसआर के प्रति भारत के रवैये की आलोचना करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने आज के लेख में लिखा है कि गलतफहमियों को दूर करने के लिए भारत को चीन के साथ जहाजरानी क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि चीन को हिंद महासागर में इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन तथा अन्य क्षेत्रीय सहयोग संगठनों के साथ संबंध तथा सहयोग में सुधार करना चाहिए। इसी के साथ ही चीन को भारत के साथ जहाजरानी सहयोग को बढ़ाना चाहिए। लेख में कहा गया है कि पश्चिमी स्कालर्स ने हिंद महासागर में चीन की ‘‘स्ट्रिंग आफ पर्ल्स स्ट्रेटेजी’’ को गलत तरीके से पेश किया है और कुछ भारतीयों का मानना है कि एमएसआर केवल उसका एक वैकल्पिक शब्द है जो अधिक सुखद लगता है और इसका इस्तेमाल ‘‘स्ट्रिंग आफ पर्ल्स स्ट्रेटेजी’’ की जगह पर किया जा रहा है। लेख कहता है कि तथाकथित ‘‘स्ट्रिंग आफ पर्ल्स स्ट्रेटेजी’’ रणनीति एक सैन्य और भू रणनीतिक योजना है लेकिन चीनी नेता बेल्ट एंड रोड पहल को नए युग में विश्व शांति एवं विकास के चीनी समाधान में चीन के खुलेपन और आर्थिक कूटनीति की पहल बताते हैं।