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आनंदी बेन पटेल के बाद नितिन पटेल हो सकते हैं गुजरात के नए मुख्यमंत्री
आनंदी बेन पटेल के बाद नितिन पटेल हो सकते हैं गुजरात के नए मुख्यमंत्री
गांधीनगर : आनंदी बेन पटेल के बाद नितिन पटेल गुजरात के नए मुख्यमंत्री हो सकते हैं. इसका फैसला पार्टी संसदीय बोर्ड करेगा, लेकिन सूत्रों की माने तो नितिन के नाम पर सहमति बन गई है. कल आनंदी बेन पटेल ने फेसबुक के जरिये इस्तीफे की पेशकश की थी. इसी के बाद से नए नेता को लेकर दिल्ली से अहमदाबाद तक मंथन का दौर चल रहा है.
महेसाणा से विधायक हैं नितिन पटेल
रात को अमित शाह ने गुजरात के प्रभारी दिनेश शर्मा और पार्टी के बड़े नेता ओम माथुर से चर्चा की है. सूत्रों की माने तो बाकी दोनों दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए नितिन पटेल सीएम के लिए नंबर वन की रेस में चल रहे हैं. महेसाणा से विधायक नितिन पटेल को पीएम मोदी के साथ-साथ अमित शाह का भी करीबी माना जाता है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि संसदीय बोर्ड की मीटिंग में इनके नाम पर मुहर लग जाएगी.
नितिन पटेल ही क्यों
– नितिन अभी स्वास्थ्य मंत्री हैं और नंबर दो की हैसियत रखते हैं
– 1990 से विधायक रहने का अनुभव भी है
– इनका नाम आगे इसलिए भी है क्योंकि पटेल बिरादरी से ही हैं
– गुजरात में पटेल वोटर बीजेपी के साथ रहा है
– आरक्षण आंदोलन की काट के लिए पटेल को ही बनाना मजबूरी भी है
आनंदी को पंजाब का गवर्नर बनाये जाने की भी चर्चा
बताया जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद आनंदी बेन की विदाई कार्यक्रम को भव्य रूप दिया जाएगा. खुद प्रधानमंत्री भी उसमें शामिल होने जाएंगे. आनंदी को पंजाब का गवर्नर बनाये जाने की भी चर्चा है. पिछले महीने ही आनंदी बेन की विदाई की चर्चा शुरू हो गई थी. लेकिन, तब सब इनकार करते रहे थे. लेकिन, अब ऊना दलित पिटाई कांड के बाद इन पर दबाव बढ़ गया था.
आम आदमी पार्टी के नेता इसे अपनी जीत बता रहे हैं
लिहाजा कल शाम सोशल मीडिया के जरिये सार्वजनिक तौर पर इस्तीफे की पेशकश कर दी. आम आदमी पार्टी के नेता इसे अपनी जीत बता रहे है. आशुतोष कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी की उड़ान की वजह से बीजेपी को आनंदी बेन पटेल को हटाना पड़ा. उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया बल्कि बर्खास्त किया गया है. क्योंकि मोदी को लग गया है कि वो अपने गुजरात में हार रहे हैं.
नवंबर महीने में 75 साल को पार कर रही आनंदी
नवंबर महीने में 75 साल को पार कर रही आनंदी के कार्यकाल में पटेल आंदोलन से लेकर ऊना दलित कांड हो गया. पंचायत चुनाव में पार्टी बुरी तरह पीट गई. अगले साल के अंत में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में आनंदी की जगह नए चेहरे को लाना बीजेपी की मजबूरी भी हो गई थी.