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अफ्रीका से आया है घातक चिकनगुनिया, ये हैं लक्षण, ऐसे करें बचाव

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राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में चिकनगुनिया को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। अब तक 10 मौतें हो चुकी हैं। देश में अगस्त तक इसके 12 हजार 255 संभावित मरीज सामने आ चुके थे।

चिकनगुनिया सबसे पहले अफ्रीका स्‍थित तंजानिया और मोजांबिक के पास मकोंडे नामक स्‍थान पर 1952-53 में फैला था। उसके बाद यह फिलीपींस में आया। चूंकि इसके शिकार व्‍यक्‍ति के जोड़ों मे भयानक दर्द होता है स्थानीय मकोंडे भाषा में चिकनगुनिया का अर्थ होता है वो जो दुहरा कर दे। जो झुका दे। भारत में 1960 के बाद इसके फैलने की रिपोर्ट है। फिजिशियन डॉ सुरेंद्र दत्‍ता से हमने इसके लक्षण और बचाव के बारे में विस्तार से बातचीत की।

अफ्रीका से आया है घातक चिकनगुनिया, ये हैं लक्षण, ऐसे करें बचाव

कैसे फैलता है चिकनगुनिया

-यह एक वायरल बुखार है जो एडीज एजिप्‍टी नाम के मच्‍छर के काटने से फैलता है। यह बीमारी सीधे एक मनुष्‍य से दूसरे में नहीं फैलती। चिकनगुनिया वायरस की चपेट में आए बीमार व्‍यक्‍ति को एडीज मच्‍छर के काटने के बाद फिर स्‍वस्‍थ व्‍यक्‍ति को काटने से फैलती है। इसका मच्छर दिन में ही काटता है।

क्‍या हैं लक्षण

-मच्‍छर काटने के दो से एक सप्‍ताह बाद इसके लक्षण नजर आते हैं। चिकनगुनिया बुखार आमतौर पर जानलेवा नहीं होता लेकिन पहले से बीमार, बुजुर्गों और बच्‍चों के जीवन के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है। बदन दर्द, ज्‍वाइंट में दर्द, चकत्‍ते निकलना, बुखार, सिर दर्द, कमजोरी, भूख न लगना और उल्टी, खांसी, जुकाम इसके प्रमुख लक्षण हैं।

कैसे बचें

-किसी भी तरह मच्‍छरों से अपने आप को बचाएं। सोते समय मच्‍छरदानी का इस्‍तेमाल करें। घर हो या बाहर पूरे कपड़े पहनें। आसपास पानी जमा न होने दें। जो इंफेक्‍टेड है उसे मच्‍छरों से बचाना इसलिए जरूरी है क्‍योंकि मच्‍छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी फैला सकते हैं।

क्‍या है इलाज

-इसका कोई विशेष इलाज नहीं है। दर्द कम करने और बुखार से बचने की दवा दी जाती है। इसमें आराम काफी महत्‍वपूर्ण है। बुखार होने पर झोला छाप डॉक्‍टरों को दिखाने से बचें। खुद दवा न लें। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्‍युनिकेबल डिजीज की रिपोर्ट सर्वमान्‍य है।