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दिल्ली में डेंगू-चिकनगुनिया का कहर, डेंगू से 14 और चिकनगुनिया से अबतक 11 मरे
दिल्ली में चिकनगुनिया का कहर बढ़ता जा रहा है। चिकनगुनिया से एम्स में एक और मरीज की मौत हो गई। इसके साथ ही दिल्ली में चिकनगुनिया से मरने वालों की कुल तादाद 11 पहुंच चुकी है। राजधानी के अपोलो अस्पताल में पांच, सर गंगाराम अस्पताल में चार और हिंदूराव अस्पताल में एक मरीज की मौत हो चुकी है।
दिल्ली में चिकनगुनिया के करीब 1750 मामले सामने आ चुके हैं। सितंबर महीने में एम्स में डेंगू से 5 मरीजों की मौत हो गई। इसके साथ ही डेंगू से मरने वालों की तादाद 14 पहुंच गई है। दिल्ली में फिलहाल 1150 लोग डेंगू से पीड़ित हैं।
दिल्ली में डेंगू-चिकनगुनिया का कहर, डेंगू से 14 और चिकनगुनिया से अबतक 11 मरेदिल्ली में चिकनगुनिया का कहर बढ़ता जा रहा है। चिकनगुनिया से एम्स में एक और मरीज की मौत हो गई। इसके साथ ही दिल्ली में चिकनगुनिया से मरने वालों की कुल तादाद 11 पहुंच चुकी है।
वहीं दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में मरीज के परिजनों से झड़प के बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। पीड़ित मरीज के परिजनों का कहना है कि उसकी हालत बेहद खराब थी। कई बार कहने के बाद भी डॉक्टर उसका इलाज नहीं शुरू कर रहे थे।
अफ्रीका से आया है घातक चिकनगुनिया, ये हैं लक्षण, ऐसे करें बचाव
क्या हैं लक्षण
-मच्छर काटने के दो से एक सप्ताह बाद इसके लक्षण नजर आते हैं। चिकनगुनिया बुखार आमतौर पर जानलेवा नहीं होता लेकिन पहले से बीमार, बुजुर्गों और बच्चों के जीवन के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है। बदन दर्द, ज्वाइंट में दर्द, चकत्ते निकलना, बुखार, सिर दर्द, कमजोरी, भूख न लगना और उल्टी, खांसी, जुकाम इसके प्रमुख लक्षण हैं।
कैसे बचें
-किसी भी तरह मच्छरों से अपने आप को बचाएं। सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। घर हो या बाहर पूरे कपड़े पहनें। आसपास पानी जमा न होने दें। जो इंफेक्टेड है उसे मच्छरों से बचाना इसलिए जरूरी है क्योंकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी फैला सकते हैं।
क्या है इलाज
-इसका कोई विशेष इलाज नहीं है। दर्द कम करने और बुखार से बचने की दवा दी जाती है। इसमें आराम काफी महत्वपूर्ण है। बुखार होने पर झोला छाप डॉक्टरों को दिखाने से बचें। खुद दवा न लें। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज की रिपोर्ट सर्वमान्य है।
इस पर जब घरवालों में हंगामा किया तो अस्पताल की एक डॉक्टर गार्ड के साथ मिलकर उन्हें पीटने लगी। ये देख हंगामा और बढ़ गया। इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। आरएमएल अस्पताल के डॉक्टर की हड़ताल के चलते कई मरीज 4 से 5 घंटे तक इमरजेंसी के बाहर फुटपाथ पर पड़े रहे।
दिल्ली में चिकनगुनिया का कहर बढ़ता जा रहा है। चिकनगुनिया से एम्स में एक और मरीज की मौत हो गई। इसके साथ ही दिल्ली में चिकनगुनिया से मरने वालों की कुल तादाद 11 पहुंच चुकी है। राजधानी के अपोलो अस्पताल में पांच, सर गंगाराम अस्पताल में चार और हिंदूराव अस्पताल में एक मरीज की मौत हो चुकी है।
दिल्ली में चिकनगुनिया के करीब 1750 मामले सामने आ चुके हैं। सितंबर महीने में एम्स में डेंगू से 5 मरीजों की मौत हो गई। इसके साथ ही डेंगू से मरने वालों की तादाद 14 पहुंच गई है। दिल्ली में फिलहाल 1150 लोग डेंगू से पीड़ित हैं।
दिल्ली में डेंगू-चिकनगुनिया का कहर, डेंगू से 14 और चिकनगुनिया से अबतक 11 मरेदिल्ली में चिकनगुनिया का कहर बढ़ता जा रहा है। चिकनगुनिया से एम्स में एक और मरीज की मौत हो गई। इसके साथ ही दिल्ली में चिकनगुनिया से मरने वालों की कुल तादाद 11 पहुंच चुकी है।
वहीं दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में मरीज के परिजनों से झड़प के बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। पीड़ित मरीज के परिजनों का कहना है कि उसकी हालत बेहद खराब थी। कई बार कहने के बाद भी डॉक्टर उसका इलाज नहीं शुरू कर रहे थे।
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क्या हैं लक्षण
-मच्छर काटने के दो से एक सप्ताह बाद इसके लक्षण नजर आते हैं। चिकनगुनिया बुखार आमतौर पर जानलेवा नहीं होता लेकिन पहले से बीमार, बुजुर्गों और बच्चों के जीवन के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है। बदन दर्द, ज्वाइंट में दर्द, चकत्ते निकलना, बुखार, सिर दर्द, कमजोरी, भूख न लगना और उल्टी, खांसी, जुकाम इसके प्रमुख लक्षण हैं।
कैसे बचें
-किसी भी तरह मच्छरों से अपने आप को बचाएं। सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। घर हो या बाहर पूरे कपड़े पहनें। आसपास पानी जमा न होने दें। जो इंफेक्टेड है उसे मच्छरों से बचाना इसलिए जरूरी है क्योंकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी फैला सकते हैं।
क्या है इलाज
-इसका कोई विशेष इलाज नहीं है। दर्द कम करने और बुखार से बचने की दवा दी जाती है। इसमें आराम काफी महत्वपूर्ण है। बुखार होने पर झोला छाप डॉक्टरों को दिखाने से बचें। खुद दवा न लें। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज की रिपोर्ट सर्वमान्य है।
इस पर जब घरवालों में हंगामा किया तो अस्पताल की एक डॉक्टर गार्ड के साथ मिलकर उन्हें पीटने लगी। ये देख हंगामा और बढ़ गया। इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। आरएमएल अस्पताल के डॉक्टर की हड़ताल के चलते कई मरीज 4 से 5 घंटे तक इमरजेंसी के बाहर फुटपाथ पर पड़े रहे।