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‘पापा मैंने LKG में टॉप किया, अब आप गोल्ड ले आओ’ और देवेंद्र ले आए
स्कूल टाइम में कहा जाता है, देखो, अगर तुम अच्छे नंबर लाए तो तुम्हें साइकिल दी जाएगी. बड़े हुए तो स्कूटी और बाइक का वादा किया जाता है या फिर कार. और भी बहुत कुछ ऑफर होता है. मुझे भी ऑफर हुआ था, अगर तुम 10th में स्कूल टॉप कर लेते हो तो मोबाइल दिया जाएगा. लेकिन अफसोस साइंस स्ट्रीम में तो टॉप किया, लेकिन आर्ट स्ट्रीम की एक लड़की मेरे से ज्यादा मार्क्स ले आई और हमारा मोबाइल हमें नहीं मिल पाया. ये तो पैरेंट्स के ऑफर की बात थी, मगर इस 6 साल की बच्ची ने तो अपने पापा को ही चैलेंज कर दिया. बोल दिया ‘अगर मैं टॉप करती हूं, तो आपको गोल्ड मेडल लाना होगा.’ जी हां, रियो पैरालंपिक 2016 में गोल्ड मेडल जीतने वाले जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझरिया ने अपनी 6 साल की बेटी को किया वादा निभाया है.
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झाझरिया ने बताया कि उनकी बेटी जिया ने एक डील की थी. राजस्थान में ट्रेनिंग के दौरान जिया ने कहा था, ”अगर मैंने एग्जाम में टॉप किया तो आपको पैरालंपिक में गोल्ड जीतना होगा.”
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झाझरिया का कहना है कि जब वह ओलंपिक स्टेडियम में एंट्री कर रहे थे तो उनके कानों में जिया की बातें गूंज रही थीं. जिया ने उन्हें फोन पर बताया था, “मैंने टॉप किया अब आपकी बारी है” देवेंद्र ने 12 साल पहले 2004 एथेंस पैरालंपिक में भी गोल्ड मेडल जीता था. देवेंद्र ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर ये मेडल जीता.
देख लो कैसे जीता मेडल
बीवी से फोन पर कहा गोल्ड पक्का है
स्टेडियम में उतरने से पहले झाझरिया ने फोन पर अपनी बीवी मंजू से बात की. और प्रॉमिस कर डाला कि वो पक्का गोल्ड जीतकर लाएंगे. जब झाझरिया ने मेडल जीता उस समय भारत में रात हो रही थी. उन्होंने सुबह तक अपने फैमिली वालों और चाहने वालों से बात की. उन्होंने कहा, “अब क्या सोना, अब हमें कुछ नहीं होगा. हम तो नेशनल फ्लैग के साथ जश्न मनाएंगे.”
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बना डाला वर्ल्ड रिकॉर्ड
झाझरिया का कहना है, ‘इस बात का तो यकीन था कि गोल्ड जीतूंगा, लेकिन वर्ल्ड रिकॉर्ड बनना मेरे लिए बोनस है.’ उन्होंने 63.97 मीटर दूर जैवलिन थ्रो करके नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया. उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ डाला. एथेंस पैरालंपिक में उन्होंने 62.15 मीटर दूर जैवलिन थ्रो किया था. झाझरिया का कहना है कि वो और बेहतर करने की कोशिश जारी रखेंगे. और वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे. और हां टोक्यो पैरालंपिक में भी.
32 साल बाद इंडिया ने पैरालंपिक में पहली बार 4 मेडल जीते हैं. 1984 में 2 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज जीते थे. और हां, 44 साल बाद रैंकिंग में भी सुधार आया है. 31वें नंबर पर है मेडल लिस्ट में. 1972 के बाद ये अच्छी रैंकिंग है.
बेटा नहीं पहचान पाता झाझरिया को
झाझरिया पिछले दो पैरालंपिक में हिस्सा नहीं ले पाए क्योंकि उनके कॉम्पीटिशन को इवेंट में जगह नहीं मिली थी. इस दौरान खुद को फिट रखने के लिए उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग की और बहुत कम बार घर गए. उनका घर राजस्थान के चुरू जिले के एक छोटे गांव में है. घर पर समय नहीं बिता पाने के चलते उनका दो साल का बेटा काव्यान उन्हें पहचानता भी नहीं है. उन्होंने कहा, “उसकी मां मेरी फोटो दिखाकर कहती है कि यह तुम्हारे पापा हैं. उम्मीद करता हूं कि अब उसके साथ कुछ समय बिता पाऊंगा.”
देवेंद्र झाझरिया. Reuters
देवेंद्र झाझरिया. Reuters
पेड़ पर चढ़ रहे थे और बिजली के तार ने हाथ छीन लिया
देवेंद्र झाझरिया 8 साल के थे, एक पेड़ पर चढ़े थे. उनका हाथ पेड़ पर से गुजर रहे बिजली के तार से टच हो गया और ऐसा करंट लगा कि उसने झाझरिया से उनका हाथ ही छीन लिया. उनका लेफ्ट हैंड कट गया, लेकिन इसे कमजोरी नहीं बनने दिया. और अपने ख्वाब को पूरा किया.
10 जुलाई 1981 को राजस्थान के चुरू में पैदा हुए देवेंद्र झाझरिया को पद्मश्री अवार्ड मिल चुका है. उन्हें खेलों में शानदार प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवॉर्ड भी मिला है.
‘कहां से लंगड़ा-लूला उठा लाते हो’
साल 2000 की बात है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ग्वालियर की लक्ष्मीबाई नेशनल यूनिवर्सिटी में ओपन इंटर यूनिवर्सिटी मीट हुई. इसमें एथलीट कोच आरडी सिंह देवेंद्र झाझरिया को लेकर पहुंचे थे, जिसका वहां के लड़कों ने ये कहकर मजाक उड़ाया था, क्यों आरडी सर, पूरे राजस्थान में आपको दो हाथों वाला एथलीट नहीं मिला? कहां से लंगड़ा-लूला उठा के ले आए? और फिर देवेंद्र ने 4 साल बाद एथेंस में गोल्ड जीतकर उन लोगों को जवाब दिया था. झाझरिया के कोच आरडी सिंह कहते हैं कि अगर दो बार उनकी कैटेगरी पैरालंपिक से नहीं हटती तो उनके पास आज चार गोल्ड होते.