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इस कोशिश को सलाम, गरीबों के लिए वाराणसी में खड़ी की गई ‘नेकी की दीवार’
गरीबी एक अभिशाप है और हमारे देश में आज भी करोड़ों लोग इस अभिशाप में गिरफ्तार हैं. रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतें ऐसे लोगों को बेबसी की ज़िन्दगी जीने को मजबूर कर देती हैं. सरकारें ऐसी ज़रूरतों को पूरा करने की योजनाएं ज़रूर चलाती हैं, लेकिन गुरबत ऐसी होती है कि बहुतों के कपड़े की जरूतें भी पूरी नहीं होतीं. इन्हीं ज़रूरतों को पूरा करने के विकल्प के तौर पर वाराणसी में ‘नेकी की दीवार’ बनाई गई है. इस दीवार के ज़रिये गरीबों को जो लोग दान देना चाहते हैं, वो इस दीवार पर अपनी अनुपयोगी चीज़ें दान दे सकते हैं और जो ज़रूरतमंद लोग हैं, वो यहाँ आकर मुफ्त में अपनी ज़रुरत की चीज़ें ले सकते हैं.
वाराणसी के रविन्द्रपुरी इलाके में बनाई गई इस ‘नेकी की दीवार’ को सुबह 9.30 बजे से दोपहर 12.30 बैजे तक खोला जाता है, जहाँ ज़रूरतमंद आकर अपने ज़रुरत की चीज़ें ले जा सकते हैं. शहर के बहुत से लोग अपने घर में काम ना आने वाली चीजों को लाकर यहाँ छोड़ जाते हैं. इन्हीं दान की गई चीज़ों को गरीबों को मुफ्त में दे दिया जाता है. इसमें कपड़े, बर्तन, जूते-चप्पल, स्वेटर, शॉल समेत कोई भी अनुपयोगी चीज़ दान दी जा सकती हैं.
यहाँ आने वाले लोग कहते हैं कि पहले उनके पास दान देने लायक सामान होता था, लेकिन किन लोगों को यह दिया जाए, ये मुश्किल भरी बात थी. ये नेकी की दीवार बनाये जाने के बाद वो हर ऐसी चीज़, जो उनके लिए बेकार है लेकिन किसी गरीब के लिए काम की हो सकती है, को दान दे देते हैं.
इस नेकी की दीवार को स्थानीय लायंस क्लब की तरफ से लगाया गया है. यहाँ सुबह 9.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक एक कर्मचारी को रखा गया है, जो गरीबों को उनके ज़रुरत की चीज़ें देने में मदद करता है. साथ ही इस जगह एक रजिस्टर भी रखा गया है, जिसमें दान देने वाले लोगों का नाम और अन्य विवरण लिखवाये जाते हैं.
इस नेकी की दीवार के जोनल कोर्डिनेटर मनमोहन अग्रवाल के मुताबिक ये कॉन्सेप्ट उनके क्लब के अध्यक्ष ने ईरान में सबसे पहले देखा था और वापस आने के बाद इसे वाराणसी के रविन्द्रपुरी में स्थापित किया गया. दो अक्टूबर 2016 को इस नेकी की दीवार का उद्घाटन किया गया, जो पिछले 24 दिनों में बेहद सफल प्रयोग साबित हुआ है. यहाँ रोज़ सुबह ज़रूरतमंदों की सामान लेने के लिए भीड़ लग जाती है तो वहीं अच्छी खासी संख्या में दान देने वाले लोग भी दान देते हैं. उन्होंने बताया कि वाराणसी में धनतेरस के दिन दो और जगहों पर नेकी की दीवार शुरू की जायेगी, जिससे इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा गरीबों तक पहुँच सके.
अभी यह प्रयोग नया है ऐसे में आयोजकों को कुछ दिक्कतें भी पेश आ रही हैं. कुछ लोग लगभग रोज़ ही आकर कुछ ना कुछ लेने की कोशिश करते हैं तो कुछ ज़रुरत से ज्यादा ले जाने की भी फिराक में रहते हैं लेकिन लोगों को समझा बुझाकर दान की गई चीज़ों को दिया जा रहा है. नेकी की दीवार के प्रभारी सुरेंद्र सिंह के मुताबिक स्थानीय प्रशासन भी इस प्रयोग की सराहना कर रहा है. सुरेंद्र सिंह के मुताबिक आने वाले दिनों में यह प्रयोग अन्य शहरों में भी होगा. अभी यह प्रयोग वाराणसी के अलावा इलाहाबाद और राजस्थान के भीलवाड़ा में किया जा रहा है.
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि नेकी की दीवार एक बहुत छोटा सा लेकिन बहुत सशक्त प्रयोग है, जिससे देश में गरीब लोगों को सहूलियत दी जा सके. ठण्ड के मौसम में कितने ऐसे मामले सामने आते हैं, जिममें कपडे के अभाव में लोगों के दम तोड़ने की सूचना मिलती है. ऐसे में इस तरह का प्रयोग ना सिर्फ गरीबों को राहत दे सकता है, बल्कि कई गरीबों की जान भी बचा सकता है.