राजनीति
‘सौतेली मां’ पर चिट्ठी लिखने वाले सपा MLC नपे, 6 साल के लिए पार्टी से बाहर
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखना विधानपरिषद सदस्य उदयवीर सिंह को महंगा पड़ गया है. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उदयवीर को आज सपा से निकाल दिया गया. सपा प्रवक्ता अम्बिका चौधरी ने यहां संवाददाताओं को इस बारे में जानकारी दी.
विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप
चौधरी ने जानकारी दी कि विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिये सपा से निष्कासित कर दिया गया है. मालूम हो कि सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है. चौधरी ने कहा कि अमर्यादित तरीके से अनुशासनहीन आचरण करने वालों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पार्टी पिछले 25 सालों में अनुशासन और संकल्प के बलबूते ही यहां पहुंची
उनते अनुसार पार्टी पिछले 25 सालों में अनुशासन और संकल्प के बलबूते ही यहां पहुंची है. उदयवीर ने जो अमर्यादित, अशोभनीय और अनुशासनहीन आचरण किया है, उसके लिये उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिये निष्कासित कर दिया गया है. गौरतलब है कि इस चिट्ठी को लेकर चर्चा काफी तेज हो गई थी. साथ ही मुलायम परिवार के झगड़े में नया नाम जुड़ गया था.
मुझे कोई अफसोस नहीं है. मैंने जो भी राजनीतिक मुद्दे उठाये : उदयवीर
इस बीच, उदयवीर सिंह ने अपने निष्कासन के बारे में कहा ‘मुझे कोई अफसोस नहीं है. मैंने जो भी राजनीतिक मुद्दे उठाये, वे लोकतांत्रिक अधिकार के तहत उठाये थे. नेताजी (मुलायम) पार्टी के संरक्षक है. मुझे पूरा भरोसा है कि वह सबके साथ न्याय करेंगे, मुख्यमंत्री (अखिलेश यादव) जी के साथ भी न्याय करेंगे.’
नेताजी को मंचों से गाली देने वाले लोग इस वक्त पार्टी में मौजूद हैं : उदयवीर
उन्होंने कहा कि अफसोस इस बात का है कि नेताजी को मंचों से गाली देने वाले लोग इस वक्त पार्टी में मौजूद हैं. पत्र लिखने वाले शुभचिंतकों को पार्टी से निकाला जा रहा है. नेताजी जब भी कभी गम्भीरता से विचार करेंगे तो जरूर सोचेंगे. मालूम हो कि प्रदेश के ‘समाजवादी परिवार’ में रार बढ़ने के बीच पार्टी के विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह की चिट्ठी चर्चा में आई थी.
मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर सनसनी फैला दी थी : उदयवीर
उन्होंने गत 19 अक्तूबर को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर सनसनी फैला दी थी. उन्होंने पत्र में पार्टी के प्रान्तीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया था कि शिवपाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जलन रखते हैं. अपने चार पन्ने के पत्र में उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर यहां तक कह दिया था कि अखिलेश के खिलाफ साजिश में मुलायम की पत्नी, बेटा और बहू भी शामिल है.
शिवपाल सपा मुखिया की पत्नी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का चेहरा : उदयवीर
पत्र में उन्होंने लिखा था कि शिवपाल सपा मुखिया की पत्नी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का चेहरा हैं. सिंह ने पत्र में आरोप लगाया था कि अखिलेश के खिलाफ षड्यंत्र वर्ष 2012 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के फैसले के बाद से ही शुरू हो गया था. उस वक्त शिवपाल ने इस निर्णय को रुकवाने की भरसक कोशिश की थी. उसके बाद से ही शिवपाल की निजी महत्वाकांक्षा अखिलेश के पीछे पड़ी है.
सपा मुखिया पर एकतरफा बातें सुनकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया
उन्होंने सपा मुखिया पर एकतरफा बातें सुनकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया था. साथ ही यह अनुरोध किया था कि वह सपा के संरक्षक बन जाएं और अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दें. गौरतलब है कि अखिलेश यादव, मुलायम की पहली पत्नी की संतान रहे. जबकि, दूसरी पत्नी साधना यादव की संतान मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पैदाइश वर्ष 1988 की है.
साधना की शादी अमर सिंह ने मुलायम से कराई थी
2003 में पहली पत्नी की मौत हो गई. मगर तब तक मुलायम करीबियों के अलावा किसी को नहीं मालुम था कि उनकी साधना गुप्ता नाम की दूसरी पत्नी भी हैं. कहा जाता है कि साधना की शादी अमर सिंह ने मुलायम से कराई थी. यूपी की जनता को मुलायम की दूसरी पत्नी के बारे में अधिकृत रूप से वर्ष 2007 में पता चला.
मुलायम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में SC में हलफनामा दिया
असल में मुलायम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया. जिसमें उन्होंने साधना गुप्ता को अपनी पत्नी बताया. हालांकि सपा का कोई सीनियर नेता अब भी नहीं बताने की स्थिति में है मुलायम-साधना की शादी किस वर्ष में हुई. मुलायम घराने में दो गुट हैं. शिवपाल यादव, साधना गुप्ता, प्रतीक यादव एक गुट में हैं. दूसरे गुट में अखिलेश यादव और उनके चचेरे चाचा रामगोपाल यादव हैं.