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राजनीति
कर्जदारों के नाम बताना जरूरी नहीं लेकिन रियायत भी नहीं मिलेगी: सुप्रीम कोर्ट

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: सरकारी बैंकों के बड़े कर्ज़दारों के नाम सार्वजनिक करने का आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने फ़िलहाल मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा नाम सार्वजनिक करना उतना ज़रूरी नहीं है. हमें इस समस्या की जड़ में जाना होगा.

हालांकि, चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ संकेत दिए कि वो बैंकों के 85 हज़ार करोड़ रुपए दबाए बैठे लोगों से कोई रियायत नहीं करने वाली. बेंच ने सरकार से कहा है कि वो कर्ज वसूली को लेकर उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा 3 हफ्ते में दे. सरकार को ये जानकारी सीलबंद लिफाफे में देनी है.

गौरतलब है कि रिज़र्व बैंक की तरफ से पिछली सुनवाई में सौंपी रिपोर्ट से ये पता चला था कि 57 लोगों के ऊपर 85 हज़ार करोड़ का कर्ज बकाया है. कोर्ट ने रिज़र्व बैंक से पूछा था कि आखिर इन लोगों के नाम सार्वजनिक क्यों नहीं कर दिए जाते?

सुनवाई के दौरान रिज़र्व बैंक ने बकायदारों के नाम सार्वजनिक करने पर एतराज़ जताया था. आरबीआई की दलील थी कि ये बैंकों की गोपनीय जानकारी है. इसे सार्वजनिक करना बैंकों के व्यापारिक हित के खिलाफ होगा.

आज सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि नामों को सार्वजनिक करना समस्या का हल नहीं है. कोर्ट ने कहा कि वो बैंकिंग सुधार के लिए बनाई गई कमिटी की सिफारिशें देखना चाहती है. कोर्ट ने कमिटी को 4 हफ्ते में सिफारिशें जमा कराने को कहा. इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी