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युद्ध जैसी परस्थितियों में भी काफी उंचा है भारतीय सैनिकों का मनोबल

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पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन और गोलाबारी के बावजूद हमारे सैनिकों का मनोबल काफी उंचा है. ये मानना है रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे का. रक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक, जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दीवाली पर आम लोगों को सैनिकों के लिए संदेश देने की मुहिम चलाई, उससे सरहद पर तैनात सैनिक को कतई नहीं लगा कि वो अकेला दुश्मन से लड़ रहा है.

रक्षा राज्यमंत्री आज राजधानी दिल्ली में सैनिकों के ‘मनोवैज्ञानिक आंकलन: भविष्य के योद्धा’ (साइक्लोजिकल एसेसमेंट: शेपिंग फ्यूचर शोल्जर्स) नाम के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थें.

रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में हर तरह का मौसम है, चाहे वो उत्तर की कड़ाके की ठंड हो या फिर पश्चिम के रेगिस्तान की गर्मी या फिर उत्तर-पूर्व राज्यों की जोरदार बारिश, हमारे सैनिक हर मौसम में अपने आप को ढाल लेते हैं.

उन्होंने कहा कि सैनिकों की लड़ाई अब सिर्फ सरहद तक ही सीमित नहीं रह गई है. वे देश के भीतर उग्रवाद, आतंकवाद और चरमपंथियों से लड़ते हैं, तो सीमा-पार यूएन के ‘पीसकीपिंग मिशन’ में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं. यानि हमारे सैनिक किसी भी मौसम, परिस्थिति और संस्कृति में ढल सकते हैं.

इस सम्मेलन को ‘डीआरडीओ’ के ‘डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ साइक्लोजिकल रिसर्च ने ‘इंटरनेशनल मिलिट्री टेस्टिंग एसोसिएशन’ के साथ मिलकर राजधानी दिल्ली में आयोजित किया. इस सम्मेलन में दुनियाभर के 22 देशों के डेढ़ सौ से भी ज्यादा ‘मिलिट्री-साइक्लोजिस्ट’ हिस्सा ले रहे हैं.

इस सम्मेलन का उद्देश्य युद्ध और संघर्ष के दौरान सैनिकों की मनोस्थिति जानने की है. कैसे एक सैनिक अपने घर-परिवार से दूर सीमा पर दुश्मन से मुकाबला करता है. कभी-कभी सैनिक छुट्टी ना मिलने के कारण या फिर किसी और कारण से हताशा में आकर आत्महत्या कर लेते हैं या फिर अपने साथी या अपने कमांडर तक को गोली मार देते हैं. ऐसे में बेहद जरुरी है कि सैनिकों के मनोविज्ञान को बेहतर तरीके से स्टडी किया जाए.

रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने आज ‘एबीपी न्यूज’ से कहा कि हमें अपने सैनिकों पर गर्व है, और वे किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि हम अपने पड़ोसियों से शांति चाहते हैं लेकिन अगर बात हमारी सार्वभौमिकता और अंखडता पर आएगी तो हमारे सैनिक उसका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं.

रक्षा राज्यमंत्री ने आगे एबीपी न्यूज से कहा कि सरकार राजनियक प्रयासों के जरिए जवान चंदूलाल चव्हाण को देश वापस लाने की कोशिश कर रही है. सुभाष भामरे ने कहा कि चंदूलाल गलती से ‘एलओसी’ पार कर गया था. गौरतलब है कि 30 सितंबर से चंदूलाल चव्हाण पाकिस्तान के कब्जे में है. ‘एलओसी’ पर ड्यूटी के दौरान वो पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गया था. तभी से वो पाकिस्तानी सेना के कब्जे में है.