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हवा का रुख PAK की ओर, फिर दिल्ली कैसे पहुंचा पंजाब का धुंआ?

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दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग का कहर जारी है. दिवाली के बाद यहां का वायुमंडल धुंध की चादर में लिपटा है. दिवाली पर हवा में कई तरह की गैसों का स्तर बढ़ा है. कुल मिलाकर हवा जहरीली कॉकटेल में तब्दील हो गई है. अगर प्रदूषण का यह स्तर बरकरार रहा तो दिल्ली में भी सांस से संबंधित बिमारियों के कारण कई लोगों की मौत हो सकती है.

दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की हालत बनी तो इसके लिए पंजाब-हरियाणा और आसपास के राज्यों के किसानों पर दोष मढ़ा गया. कहा जा रहा है कि किसान खेतों में फसल कटने के बाद बचे ढेर (पराली) जला रहे हैं, इस वजह से वायु प्रदूषित हुई है. नासा ने भी हाल में कुछ तस्वीरें जारी हैं जिसमें पंजाब की खेतों में लगी आग को दिखाया गया है.

क्या है नासा का कहना?
नासा ने उत्तर भारत की तस्वीर जारी कर कहा है कि पंजाब में फसल जलने का धुआं दिल्ली तक पहुंचा है. सैटेलाइट से दिल्ली की साफ तस्वीर लेने भी मुश्किल आ रही है.

हालांकि, दिल्ली-एनसीआर की खराब हुई हवा के लिए पड़ोसी राज्यों के खेतों में लगाई गई आग ही अकेले जिम्मेदार नहीं है. दिल्ली-एनसीआर में सड़कों पर दौड़ती डीजल की गाड़ियां, फैक्ट्र‍ियों से निकलने वाला धुंआ और दिवाली के मौके पर हुई जमकर आतिशबाजी का भी वायु प्रदूषण में बहुत बड़ा हाथ है.

हरियाणा में हादसों का रविवार
स्मॉग से बुरी स्थ‍िति दिल्ली-एनसीआर के अलावा सटे राज्य हरियाणा में है. पटाखों और पराली के जहरीले धुएं से बना स्मॉग रविवार को और गहरा गया. प्रदेश में एक ही दिन में 4 घंटों के भीतर हुए 15 सड़क हादसों में 150 से ज्यादा वाहन टकराए. इनमें 7 लोगों की मौत हो गई जबकि 90 से अधिक घायल हो गए. रोहतक, करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र और कैथल जिलों में ये हादसे सुबह 6 से 10 बजे के बीच हुए.
दिल्ली कैसे पहुंची पंजाब की हवा?
दिल्ली सरकार ने पंजाब और हरियाणा की खेतों में जलाई जा रही पराली के लिए दिल्ली में स्मॉग के लिए जिम्मेदार ठहराया है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि 16 अक्टूबर से हवा का रुख पाकिस्तान और राजस्थान की ओर है. ऐसे में पंजाब के खेतों में जलने वाली पराली से दिल्ली में प्रदूषण कैसे बढ़ सकता है.

हालांकि पंजाब में आजकल पॉल्यूशन कुछ ज्यादा है. इसकी वजह पराली भी है. यहीं नहीं, स्मॉग का असर कराची और लाहौर में भी देखा गया है. लेकिन पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में प्रदूषण का असर नहीं दिख रहा है. बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ की हरियाली ने इस शहर को स्मॉग के कहर से बचा लिया है. शहर में हर साल ढाई लाख पौधे लगाए जा रहे हैं. शहर का ग्रीन कवर एरिया बढ़ाया गया है.

प्रदूषण का लेवल

दिल्ली में पीएम 2.5 स्तर 590 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. जबकि होना चाहिए 60. यानी सामान्य से से 10 गुना ज्यादा.
दिल्ली में पीएम 10 का स्तर 950 है जबकि होना चाहिए 100. यानी सामान्य से 9.5 गुना ज्यादा.
चंडीगढ में पीएम 2.5 स्तर 165 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है.
फरीदाबाद में पीएम 2.5 का स्तर 824 है. यह हरियाणा का सबसे जहरीला शहर है क्योंकि यहां इंडस्ट्रियल एरिया है. वाहनों की आवाजाही काफी है. दिल्ली का भी असर है.
300 से ज्यादा पीएम स्तर ही सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है.