व्यापार
भारत ने अमेरिकी, फ्रांसीसी परमाणु संयंत्रों की मांगी जानकारी
भारत ने देश में परमाणु संयंत्र बनाने का प्रस्ताव देने वाली अमेरिकी और फ्रांसीसी कंपनियों से कहा है कि अपनी क्षमता के प्रमाण के रूप में अपने डिजाइन किये हुए उन संयंत्रों का ब्योरा दें जिनमें उत्पादन हो रहा है. सूत्रों का कहना है कि फ्रांसीसी कंपनी ईडीएफ और अमेरिकी फर्म वेस्टिंगहाउस के पास अभी भी पूर्ण संचालित ‘‘रेफरेंस संयंत्र’’ नहीं हैं जो इन कंपनियों के साथ अंतिम सामान्य रूपरेखा समझौता की पूर्व आवश्यकता है.
ईडीएफ ने जैतापुर में छह परमाणु यूरोपियन प्रेशराइज्ड संयंत्र (ईपीआर) बनाने का प्रस्ताव रखा है. प्रत्येक की क्षमता 1650 मेगावाट होगी. वहीं अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस का आंध्र प्रदेश के कोवाडा में छह एपी 1000 संयंत्र लगाने का प्रस्ताव है. इनमें प्रत्येक संयंत्र की क्षमता 1000 मेगावाट होगी. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों कंपनियों की तरफ से पेश किए गए डिजाइन नए हैं, इसलिए परमाणु उर्जा विभाग भी जानना चाहता है कि प्रौद्योगिकी कैसे काम करती है.
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने उनसे एक संदर्भ संयंत्र (रेफरेन्स रिएक्टर) दिखाने को कहा है जो पूरी तरह क्रियाशील है और बिजली उत्पादन कर रहा है. कागजों पर इन कंपनियों के डिजाइन अच्छे लग रहे हैं, लेकिन हमें यह भी जानना चाहिए कि वे ठीक से काम करते हैं या नहीं. इससे उन्हें देश की परमाणु निगरानी संस्था ‘परमाणु उर्जा विनियामक बोर्ड’ से भी अनुमति मिलने में आसानी होगी.’’ भारत की विशेषज्ञता प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रियेक्टरोें में है, जबकि विदेशी कंपनियां जो संयंत्र बना रही हैं, वे लाइट वाटर रियेक्टर हैं. दोनों संयंत्र एक-दूसरे से कुछ अलग होते हैं. दिलचस्प बात यह है कि कुडनकुलम में रूस की तरफ से लगाई गयी इकाई एक और दो दोनों ही ‘वीवीईआर’ तकनीक पर आधारित हैं.