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अर्थ-डे’ पर गूगल ने सुनाई कहानी, जानिए आप भी इसका अर्थ

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वर्ल्ड अर्थ डे के बारे में हम सभी अपनी स्कूल की किताबों में पढ़ते आए हैं. हमने स्कूल की किताबों में इसके बारे में काफी कुछ जाना था. चलिए आज एक बार फिर स्कूल की किताबों को याद करते हैं और इस खास दिन के मकसद को याद करने की कोशिश करते हैं. वर्ल्ड अर्थ डे यानी कि एक ऐसा खास दिन जो पर्यावरण को समर्पित किया जाए. इस दिन की शुरूआत सबसे पहले अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी. आने वाले समय में विश्व के दूसरे देश भी इसे मनाने लगे. यूएन भी इस दिन अपने कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरुक करने की कोशिश करता है.

भारत में पर्यावरण की स्थिति
वर्ल्ड अर्थ डे को सेलिब्रेट करने के लिए किसी भी तरह के तामझाम की जरूरत नहीं है. इस दिन को मनाने के पिछे सिर्फ एक ही मकसद है पर्यावरण का भला और स्वस्थ जीवन. इस बात को से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत में पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरुकता न के बराबर है. दिल्ली तो विश्व का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है. भारत में बढ़ते प्रदूषण के पीछे किसी एक व्यक्ति संस्था या सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. हम स्कूल की किताबों में अकसर पढ़ते आए हैं कि पर्यावरण हमारी साझी संपदा है. इसका इस्तेमाल जब हम सब लोग मिलकर करते हैं तो इसका ध्यान भी हम सबको मिलकर रखना चाहिए.

ऐसे करें ‘अर्थ डे’ सेलिब्रेट

अपने घर के आसपास के एरिया में नए पौधे लगाएं.घर में, घर के आसपास और पार्क में सफाई अभियान चलाएं.कूड़े-कचरे को इकट्ठा करके डस्टबीन में डालें.अपने आसपास के पार्क और सड़कों के किनारे लगे पेड़-पौधों को पानी दें.पेड़ों पर पक्षियों के लिए घोंसले बनाएं.पुरानी चीजों को रिसाइकिल करें और खराब चीजों को ना जलाएं.कहीं भी गंदनी ना फैलाएं और ना ही फैलाने दें.बच्चों को साफ-सफाई की अहमियत समझाएं.ट्रैवल कर रहे हैं तो सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें और अपने वाहनों का पॉल्‍यूशन चैक करवाएं. इससे वायु प्रदूषण कम होगा.आज के दिन हरे, नीले या ब्राउन कलर के कपड़े पहन लोगों को इसकी थीम के बारे में बताएं.
इन छोटे-छोटे प्रयासों से भी हम अपने पर्यावरण को हरा भरा रख सकते हैं. ऊपर लिखी इन बातों को हमने बचपन में अपनी किताबों में पढ़ा था. ये बातें आज भी उतनी अहम हैं जितनी बचपन में हुआ करती थीं. अगर आज के दिन हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं और उसका ध्यान बड़े होने तक रखें

‘अर्थ डे’ पर ‘गूगल’ ने दिया अहम संदेश
शनिवार को गूगल ने मौसम में बदलाव होने की जानकारी कार्टून के जरिए दी. इस कार्टून सीरिज़ के जरिए गूगल डूडल ने दिखाया है कि कैसे एक लोमड़ी सोते हुए बुरा सपना देखती है कि मौसम में हो रहे परिवर्तन से बर्फ के पहाड़ पिघल रहे हैं और जीव मरे रहे हैं. लोमड़ी को लगता है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ही पृथ्वी का संतुलन बिगड़ता जा रहा है.

लोमड़ी अपने दोस्तों से धरती को हरा भरा कैसे बनाएं और कैसे पेड़ों का संरक्षण करें इसको लेकर बातचीत करती है. लोमड़ी का मकसद वातावरण को शुद्ध, साफ ,हरा भरा और स्वच्छ बनाना है. लोमड़ी अपने दोस्तों को बताती है..

मासांहार कम करें.घर से बाहर जाते वक्त कमरे की सारी लाइटें बंद करें.बाइक, कार, स्कूटर आदि वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करें. इससे वायु प्रदूषण फैलता है और वातावरण को काफी नुकसान पहुंचता है.सौर ऊर्जा से बनी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए जैसे कि सौर ऊर्जा की बनी लालटेन या लैंप जिनका प्रयोग आज भी ग्रामीण क्षेत्रों मे काफी हो रहा है.
लोमड़ी अपने दोस्त मेंढक और बिल्ली को बताती है. पर्यावरण का ध्यान रखने से हमारे देश की हरियाली को नुकसान नहीं होगा और वातावरण स्वच्छ और हरा भरा रहेगा.