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अलीगढ़ के व्यापारी परेशान, जीएसटी में पंजीकरण के बाद नहीं मिला आइडी पासवर्ड
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में फर्म का पंजीकरण कराने के लिए पोर्टल पर व्यापारियों ने अपना पंजीकरण तो करा दिया। लेकिन अभी तक अधिकांश व्यापारियों को न तो पासवर्ड मिला है और न ही आईडी। इसके चलते कर अधिवक्ता व डीलर दोनों ही चिंतित हैं।
मंगलवार को जीएसटी का बिल प्रदेश विधानसभा में पास हो गया। इससे अब एक जुलाई तक जीएसटी लागू होने की संभावनाओं पर मुहर लग गई है। वाणिज्यकर विभाग में जिन व्यापारी व उद्यमियों की फर्म पंजीकृत है, उनकी फर्म का ट्रांसफर जीएसटी में हो जाएगा। इसके लिए माइग्रेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
जिले के 12 खंडों में 23,000 हजार व्यापारी, उद्यमी पंजीकृत हैं। कर अधिवक्ता किशोर कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने क्लाइंट के माइग्रेशन के लिए प्रक्रिया पूरी कराई लेकिन अभी तक पासवर्ड आईडी नहीं मिली। उद्यमियों को डर है कि अगर उन्हें पोर्टल पर अपनी फर्म का पासवर्ड आईडी जल्दी न मिला तो वह 16 पेज का ब्यौरा कैसे दे पाएंगे।
अधिवक्ता किशोर ने बताया कि इस प्रक्रिया से वंचित रहने वाले डीलर अथवा उद्यमी को नए सिरे से अपनी फर्म का पंजीकरण जीएसटी में कराना होगा। इसमें समय तो लगेगा ही, साथ ही आर्थिक नुकसान भी होगा। इससे हमारी साख खराब होगी। सभी खंडों में एक हजार से अधिक डीलर रह गए हैं।
अधिकारी पासवर्ड व आईडी पोर्टल बंद होने का हवाला देते हुए टाल रहे हैं। वाणिज्यकर अधिकारी व डिप्टी कमिश्नर स्तर की फर्मो का काम रुका है। इस संबंध में डिप्टी कमिश्नर बीआर दिवाकर ने बताया कि पासवर्ड व आइडी देने में जीएसटी काउंसिल व पोर्टल तकनीकि प्रक्रिया के चलते देरी हो रही है।