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UN के टीआईआर कन्वेंशन से जुड़ा भारत, दक्षिण एशिया से व्यापार को बढ़ाने में मिलेगी मदद

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भारत सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के टीआईआर कन्वेंशन से जुड़ने वाला 71वां देश बन गया है. टीआईआर कन्वेंशन से दक्षिण एशिया एवं उसके बाहर भारत को अपने व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे व्यापारिक केंद्र बनने की भारत की स्थिति मजबूत होगी.

भारत कीकई कनेक्टिविटी परियोजनाओं को अलग-अलग देशों की ट्रांसपोर्ट और कस्टम सिस्टम के हिसाब से नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता था. टैक्स और ड्यूटी पे किए बिना किसी भी अंतर्राष्ट्रीय सीमा से माल को नहीं ले जाया जा सकता है. टीआईआर को लागू करने के बाद भारत को इन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. टीआईआर कन्वेंशन एक परिवहन समझौते से बहुत अधिक है और एक मजबूत विदेशी नीति तत्व है.

आईआरयू ने किया टीआईआर को विकसित
दुनिया में जहां चीन का ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) परियोजना डोमिनेंटिंग प्रोजेक्ट है. अगर भारत को एक ताकतवर उभरती शक्ति के रूप में आना है, तो भारत को एक बेहतर तरीके से काम करने की जरूरत है. टीआईआर माल परिवहन के लिए मानक है जिसका प्रबंधन विश्व सड़क परिवहन संगठन (आईआरयू) के हाथों में है. आईआरयू ने ही टीआईआर विकसित किया है.

आईआरयू ने टीआईआर किया भारत का स्वागत
आईआरयू के महासचिव उमबेर्टो डि प्रेटो ने कहा, ‘मैं देशों के टीआईआर में भारत का स्वागत करता हूं. यह दक्षिण एशिया में परिवहन, व्यापार और विकास के सिलसिले में तालमेल एवं प्रोत्साहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. टीआईआर भारत को म्यांमार, थाइलैंड, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ व्यापारिक लेनदेन में मदद करेगा.

अलग-अलग देशों के साथ परिवहन और कस्टम सिस्टम को अलग कर देना भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए लगातार समस्याओं में से एक है. एक बार सिस्टम वैश्विक मानदंडों के साथ एकीकृत हो जाते हैं, भारत का मानना ​​है कि डीएमआईसी (दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर) ऑनलाइन आने पर अफ्रीकी और एशियाई बाजारों की सेवा करना आसान हो जाएगा.

obor से सामना करने के लिए महत्वपूर्ण हथियार
चीन 2016 में टीआईआर में शामिल हो गया था, जब विशाल अंतर-क्षेत्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाएं शुरू हुईं. भारत को अपनी कनेक्टिविटी महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए है, यह एक आवश्यक कदम है. सम्मेलन में शामिल होने से “दक्षिण एशिया को एक प्रमुख आर्थिक बढ़ावा मिलेगा. यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है. ऐसा कहा जा रहा है कि यह पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री परिवहन मार्गों से भारत को जोड़ सकता है.

चीन के ओबीओआर का सामना करने के लिए भारत के पास एक मजबूत हथियार है. इससे भारत के इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपॉर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) और चाबहार प्रॉजेक्ट को नई दिशा मिलेगी, जिस पर भारत काफी लम्बे समय से काम कर रहा है.

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