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अहमद पटेल ने सरदार पटेल अस्पताल से 2014 में दिया था इस्तीफा, सामने आया ऐफिडेविट
अहमदाबाद के सरदार पटेल हॉस्पिटल से कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इस्तीफे के बाद अब अस्पताल की ओर से जारी किया गया ऐफिडेविट सामने आया है. इस ऐफिडेविट में कहा गया है कि कांग्रेस नेता और उनके परिवार का अब अस्पताल से कोई लेना-देना नहीं है. अस्पताल से पटेल के इस्तीफे के बाद ये ऐफिडेविट जारी किया गया था और बतौर ट्रस्टी उनका नाम हटाया गया.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शुक्रवार को मोहम्मद कासिम स्टिंबरवाला के साथ कथित संबंधों की वजह से पटेल के राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफे की मांग की थी. कासिम को गुजरात आतंक-रोधी दस्ते ने बुधवार को सूरत से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार युवक अहमदाबाद में कथित रूप से यहूदियों के पूजा स्थल को उड़ाने की साजिश रच रहा था. रूपाणी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी इस मसले पर जवाब मांगा था.
रूपाणी के आरोपों को अहमद पटेल ने जोरदार तरीके से खारिज किया था और साल 2014 में अस्पताल से अपने इस्तीफे की बात कही थी. हालांकि बीजेपी लगातार पटेल के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाए हुए है.
अहमद पटेल पर आरोप निराधार: कांग्रेस
रूपाणी के आरोपों के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह गुजरात चुनाव में हार से बचने के लिए घबराहट में राज्यसभा सांसद अहमद पटेल पर आतंकवादियों से संबंध होने का बेबुनियाद आरोप लगा रही है. पटेल के खिलाफ गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा, “बीजेपी गुजरात में हार से डर रही है और इसलिए घबराहट में वह दूसरों पर मनगढ़ंत आरोप लगा रही है. सच्चाई की जीत होगी और गुजरात में बीजेपी की हार होगी.”
उन्होंने कहा कि बीजेपी कांग्रेस सांसद के खिलाफ षड्यंत्र रच रही है, जबकि बीजेपी को अपने अंदर झांकने की जरूरत है.
‘अहमद पटेल के खिलाफ बीजेपी की साजिश’
सुरजेवाला ने कहा, “सरदार पटेल अस्पताल एक चैरिटेबल अस्पताल है, जिसमें 150-200 कर्मचारी काम करते हैं. न ही अहमद पटेल और न ही उनके परिवार के अन्य सदस्य अस्पताल के ट्रस्टी हैं. वे लोग अस्पताल से होने वाले किसी फायदे से भी नहीं जुड़े हैं. स्टिंबरवाला वहां एक कर्मचारी था.” उन्होंने कहा कि अगर संदिग्ध आतंकवादी के खिलाफ सबूत है तो एटीएस इसकी जांच करे.
प्रवक्ता ने कहा, “गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपनी अक्षमता छुपाने के लिए कांग्रेस नेता अहमद पटेल के खिलाफ साजिश रचने की कोशिश की है, जो काफी घृणित प्रयास है. पटेल के खिलाफ आरोप आधारहीन हैं.”
‘MP में गिरफ्तार IS एजेंटों के बीजेपी से संबंध’
सुरजेवाला ने कहा, “कांग्रेस ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, जबकि बीजेपी का इसमें विपरीत रिकॉर्ड रहा है. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यह बता सकते हैं कि मार्च 2016 में कैसे उनकी नाक के नीचे से दाऊद इब्राहिम की पत्नी भारत आई और यहां से चली भी गई. कैसे महाराष्ट्र सरकार और खुफिया एजेंसी को इसकी भनक तक नहीं लगी और उनको गिरफ्तार नहीं कर पाई?”
सुरजेवाला ने कहा कि मध्यप्रदेश में गिरफ्तार कुछ आईएस एजेंटों के बीजेपी से संबंध थे. उनमें से एक ध्रुव सक्सेना बीजेपी के आईटी सेल का सदस्य था. लेकिन बीजेपी इस पर मौन है.
उन्होंने पूछा, “क्या यह सही नहीं है कि जम्मू एवं कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन ने दिसंबर 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी के परिवार को सहायता राशि दी है?’ सुरजेवाला ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि पिछली राजग सरकार ने कंधार विमान अपहरण मामले में कुख्यात आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर, मुस्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को भारत की हिरासत से रिहा किया था.
उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र के एक बीजेपी नेता एकनाथ खड़से को दाऊद के साथ कथित संबंधों के लिए इस्तीफा देना पड़ा था. इसलिए बीजेपी को दूसरों पर उंगली उठाने के बजाय खुद के अंदर झांकना चाहिए.”
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