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केरल में दलितों को बनाया गया मंदिर का पुजारी, तमिलनाडु में भी उठी मांग
केरल के मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति के बाद पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में भी ऐसी ही मांग उठने लगी है. तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने राज्य सरकार को केरल से सीख लेते हुए जाति से इतर पूरी तरह प्रशिक्षित लोगों को पुजारी नियुक्त करने का आग्रह किया.
दरअसल केरल ने सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारी की नियुक्ति का फैसला किया है. राज्य में मंदिरों का प्रबंधन देखने वाली त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) ने पुजारी के तौर पर नियुक्ति के लिए छह दलितों सहित 36 गैर-ब्राह्मणों के नाम सुझाए हैं.
टीडीबी ने अपने प्रबंधन में चलने वाले राज्य के 1,248 मंदिरों में लोक सेवा आयोग (पीएससी) की तर्ज पर लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर पुजारियों की नियुक्ति का निर्णय लिया है.
देवस्वम मंत्री कदकमपल्ली रामचंद्रन ने साफ किया है बोर्ड प्रबंधन में चलने वाले मंदिरों पुजारियों का चयन मेरिट के आधार पर होगा और इसमें आरक्षण के नियमों का भी पालन किया जाएगा. ऐसे में पुजारियों के कुल 62 पदों पर नियुक्ति के लिए 26 अगड़ी जाति, तथा 36 गैर-ब्राह्मणों के नाम की सिफारिश की गई है.
बोर्ड के इस फैसले के बाद कई जानकारों को आशंका है कि इसे लागू कराने में खासी मुश्किल होगी और सदियों पुरानी इस परंपरा को यूं बदलने का लोग विरोध करेंगे. हालांकि केरल की वामपंथी सरकार ने विश्वास जताया है कि दलित पुजारियों को लेकर समाज में आम सम्मति बना ली जाएगी.
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