Menu

देश
दोनों हाथों से लिखने में पारंगत बापू के अहिंसा और उपवास से जुड़ी रोचक कहानी

nobanner

सत्य और अहिंसा को हथियार बनाकर भारत की तकदीर बदलने वाले मोहनदास करमचंद गांधी की आज 148वीं जयंती है. मोहनदास से महात्मा बनने तक में सफर में उन्होंने जो कुछ देखा और अनुभव किया, उसे जनता को समर्पित किया. गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था. आइए हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार और उनके जीवन के कुछ पन्नों को पलटते हैं.

उठाने वालों की विचारधारा कुछ भी हो, लेकिन इस हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि 21वीं सदी में भी गांधीवाद वह करिश्माई दर्शन है, विचारधारा है, जिसके जरिए आज भी विदेशों में शांति, सद्भाव और एकात्मकता को ढ़ूंढ़ा जाता है.

गांधी का दर्शन और कस्तूरबा गांधी

महात्मा गांधी अहिंसावादी थे और अन्याय के विरोध में अपनी आवाज उठाते थे. उनमें दोनों गुण शुरू में नहीं थे. अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का अस्त्र उन्हें कस्तूरबा गांधी से मिला. विवाह बचपन में हुआ तब, वह पत्नी को नियंत्रण में रखना चाहते थे. लेकिन कस्तूरबा खुले विचारों की थीं. हर सवाल का जवाब नहीं देती थीं. हां, कई बार तार्किक बहस जरूर कर बैठती थीं.

अन्याय का दृढ़ता से विरोध करने की प्रेरणा कस्तूरबा ही थीं. इसी तरह अहिंसा के गुण उनमें प्रारंभ से नहीं थे. कहते हैं कि जब बैरिस्टर की पढ़ाई करने गांधी विदेश गए थे, तभी एक दिन तांगे में बैठने की जगह को लेकर एक अंग्रेज ने उनसे हाथापाई की. उन्होंने हाथ तो नहीं उठाया, लेकिन चुप रहकर विरोध प्रदर्शित किया. यहीं से नौजवान गांधी को ‘मूक विरोध’ करने या कहें कि अहिंसा का अस्त्र मिला.

जब गांधी को गोमांस का सूप पीने की सलाह दी गई

उनके उपवास का भी रोचक प्रसंग है. विदेश में पढ़ाई के दौरान वह बीमार पड़े. चिकित्सक ने गोमांस का सूप पीने की सलाह दी. बीमारी और कड़ाके की ठंड के बावजूद उन्होंने सिर्फ दलिया खाया. उन्हें भरोसा हुआ कि भूख पर काबू रखा जा सकता है और गांधीजी को उपवास रूपी अस्त्र मिला. गांधीजी दोनों हाथों से लिखने में पारंगत थे. समुद्र में डगमगाते जहाज, तो चलती मोटर और रेलगाड़ी में भी फर्राटे से लिखते थे. एक हाथ थक जाता, तो दूसरे से उसी रफ्तार में लिखना गांधीजी की खूबी थी.

महात्मा गांधी ‘ग्रीन पैम्पलेट’ और ‘स्वराज’ पुस्तक चलते जहाज में लिखी थीं. यकीनन, जहां लोग अपने काम को लोकार्पित करते हैं, वहीं गांधी ने अपना पूरा जीवन ही लोकार्पित कर रखा था.

सत्य और अहिंसा एक सिक्के के दो पहलू: महात्मा गांधी

विलक्षण गांधी अपने पूर्ववर्ती क्रांतिकारियों से जुदा थे. शोषणवादियों के खिलाफ अहिंसात्मक तरीके अपनाकर स्वराज, सत्याग्रह और स्वदेशी के पक्ष को मजबूत कर वैचारिक क्रांति के पक्षधर गांधीजी साधन और साध्य को एक जैसा मानते थे. उनकी सोच थी कि सत्य और अहिंसा एक सिक्के के दो पहलू हैं. रचनात्मक संघर्ष में असीम विश्वास रखने वाले गांधीजी मानते थे कि जो जितना रचनात्मक होगा, खुद ही उसमें उतनी संघर्षशीलता के गुण आएंगे.

स्वतंत्र राष्ट्र ही दूसरे स्वतंत्र राष्ट्रों के साथ मिलकर वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना फलीभूत कर सकेंगे. वह स्वराज के साथ अहिंसक वैश्वीकरण के पक्षधर थे, ताकि दुनिया में स्वस्थ और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था हो. गांधीजी मानते थे कि पश्चिमी समाजवाद, अधिनायकतंत्र है, जो एक दर्शन से ज्यादा कुछ नहीं. जहां मार्क्‍स के अनुसार आविष्कार या निर्माण की प्रक्रिया मानसिक नहीं, शारीरिक है जो परिस्थितियों और माहौल के अनुकूल होते रहते हैं. वहीं गांधीजी इससे सहमत नहीं थे कि आर्थिक शक्तियां ही विकास को बढ़ावा देती हैं. यह भी नहीं कि दुनिया की सारी बुराइयों की जड़ आर्थिक कारण ही हैं या युद्धों के जन्मदाता.

राजपूत युद्धों को देखें, तो इनके पीछे आर्थिक कारण नहीं थे. आध्यात्मिक समाजवाद के पक्षधर महात्मा ने इतिहास की आध्यात्मिक व्याख्या की है. यह उतना ही पुराना है जितना पुराना व्यक्ति की चेतना में धर्म का उदय. उन्होंने केवल बाहही क्रियाकलापों या भौतिकवाद को सभ्यता-संस्कृति का वाहक नहीं माना, बल्कि गहन आंतरिक विकास पर बल दिया. वह मानते थे कि पूंजी और श्रम के सहयोग से ही उत्पादन होता है, जबकि संघर्ष से उत्पादन ठप पड़ता है.

गांधीजी की सादगी रूपी अस्त्र के भी अनगिनत किस्से हैं. सन् 1915 में भारत लौटने के बाद कभी पहले दर्जे में रेल यात्रा नहीं की. तीसरे दर्जे को हथियार बना रेलवे का जितना राजनीतिक इस्तेमाल गांधीजी ने किया, उतना शायद अब तक किसी भारतीय नेता ने नहीं किया.

503 Service Unavailable

Service Unavailable

The server is temporarily unable to service your request due to maintenance downtime or capacity problems. Please try again later.

Additionally, a 503 Service Unavailable error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.