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लाल बत्ती तो गई लेकिन अब रुतबा बचाने के लिए ‘नेम प्लेट’ का सहारा
वीवीआइपी कल्चर खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने भले ही लाल बत्ती हटाकर एक अच्छा संदेश दिया हो, पर नौकरशाही इस जुगत में है कि किसी तरह रुतबा बरकरार रहे। इसे बचाए रखने को ‘नेम प्लेट’ का सहारा लिया जा रहा है। परिवहन विभाग ने करीब 50 विभिन्न विभागों के मुखिया और अफसरों के लिए वाहनों पर नेम प्लेट लगाने का एक प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसे आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाना है।
भेजे गए प्रस्ताव में तर्क दिया गया है कि राजस्व वसूली, शांति एवं कानून व्यवस्था बनाने में, आपदा प्रबंधन, प्रवर्तन, न्यायिक सेवा से संबंधित तमाम शासकीय दायित्वों के निर्वहन के दौरान ‘पहचान’ का संकट खड़ा होता है। ऐसे में विभिन्न सेवाओं से जुड़े करीब 48 से अधिक अफसरों को वाहनों पर पद वाली नेम प्लेट लगाने के लिए अधिकृत किया जाए।
इन्हें अनिवार्य हो नेम प्लेट: अपर जिला मजिस्ट्रेट, सिटी मजिस्ट्रेट, मुख्य राजस्व अधिकारी, नगर आयुक्त, उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण, अपर आयुक्त, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, तहसीलदार, उपजिलाधिकारी, ज्येष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक, अपर पुलिस अधीक्षक, डीआइजी रेंज, आइजी जोन, मुख्य चिकित्साधिकारी, थानाध्यक्ष, बीडीओ, समस्त जिला स्तरीय अधिकारी, मंडल स्तर के अधिकारी, पुलिस महानिदेशक, एडीजी, समस्त विभागाध्यक्ष, मुख्य सचिव, अध्यक्ष राजस्व परिषद, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, आयुक्त एवं सचिव राजस्व विभाग, समस्त जिला व मंडल स्तरीय अधिकारी, समस्त विभागाध्यक्ष, राज्य निर्वाचन आयुक्त, समस्त सूचना आयुक्त, समस्त संवैधानिक आयोग के अध्यक्ष, निदेशक राजकीय चिकित्सा संस्थान, लोकायुक्त, थानाध्यक्ष, राजस्व वसूली और प्रवर्तन कार्य से जुड़े राजस्व, परिवहन, व्यापार कर, आबकारी, मनोरंजन कर, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन, नगर निगम, नगर पालिका, मुख्य विकास अधिकारी के अतिरिक्त न्यायिक सेवाओं से जुड़े अफसरों के वाहनों में शासकीय कार्यो के लिए वाहनों पर पद वाली नेम प्लेट लगाना अनिवार्य करने की बात कही गई है।
इस मामले में परिवहन आयुक्त पी. गुरुप्रसाद कहते हैं, इस आशय का एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसमें हाईकोर्ट की गाइड लाइन का जिक्र करते हुए नियमावली में लाने का अनुरोध किया गया है।