खेल
दिल्ली टेस्ट के ड्रॉ होने में है विराट कोहली के लिए खतरे की घंटी
शिवेंद्र कुमार सिंह,वरिष्ठ खेल पत्रकार
कहावत बड़ी पुरानी है लेकिन टेस्ट क्रिकेट जब तक रहेगा तब तक इसका जिक्र जरूर होगा. कहते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज मैच बचाते हैं जबकि गेंदबाज मैच जिताते हैं. गेंदबाज मैच जिताते इस लिहाज से हैं क्योंकि विरोधी टीम के बल्लेबाजों को दो बार आउट करने की जिम्मेदारी गेंदबाजों की ही होती है. टेस्ट क्रिकेट का इतिहास बताता है कि जिस टीम ने भी टेस्ट क्रिकेट पर लंबे समय तक राज किया उसके गेंदबाज बड़े धाकड़ रहे. मौजूदा समय में भारतीय टीम लगातार टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रही थी. दिल्ली टेस्ट मैच भले ही ड्रॉ रहा हो लेकिन टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज पर 1-0 से कब्जा कर लिया है. विराट कोहली की कप्तानी में ये भारतीय टीम की 9वीं टेस्ट सीरीज जीत है. जो विराट कोहली भारत के सबसे सफलतम कप्तानों की फेहरिस्त में सबसे आगे लाकर खड़ी कर देती है. अब उस कहावत पर लौटते हैं जहां से आज के प्रसंग की शुरूआत हुई है. ये बात सौ फीसदी सच है कि सीरीज जीत के बाद भी विराट कोहली अगले कुछ दिन अपनी गेंदबाजी को लेकर परेशान रहेंगे. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरू होने जा रही साल की सबसे मुश्किल सीरीज में उन्हें अपने गेंदबाजों को लेकर थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी.
गेंदबाजों ने कोटला में आखिरी दिन निराश किया
चौथे दिन का खेल जब खत्म हुआ तब श्रीलंका का स्कोर था-31 रन पर 3 विकेट. मैच के आखिरी दिन भारतीय टीम को जीत के लिए 7 विकेट की जरूरत थी. मैच के आखिरी दिन पिच से संभवत: मिलने वाली मदद और श्रीलंका की टीम पर हार का मंडराता खतरा वो दो बिंदु थे जिनका फायदा भारतीय गेंदबाजों को उठाना था. आपको याद दिला दें कि इस टेस्ट मैच में भारतीय टीम 2 तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और ईशांत शर्मा के अलावा दो स्पिनर आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के साथ मैदान में उतरी थी. मोटे तौर पर ये चार गेंदबाज भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा रहते ही हैं. जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या दो और नाम हैं जिन्हें लेकर विराट कोहली आश्वस्त हैं. विराट की चिंता कोटला टेस्ट से इसलिए बढ़ गई होंगी कि मैच के पांचवे दिन भारतीय गेंदबाज पूरे दिन में सिर्फ 2 विकेट ले सके. पिछली पारी के शतकवीरों एंजेलो मैथ्यूज और दिनेश चांदीमल को आउट करने में भारतीय गेंदबाज कामयाब रहे लेकिन डीसिल्वा, विकेटकीपर डिकवेला और रोशन सिल्वा ने भारतीय गेंदबाजों को पूरी तरह हताश किया. विराट कोहली ने खुद भी गेंदबाजी की. मुरली विजय ने भी मोर्चा संभाला लेकिन श्रीलंका के बल्लेबाजों का संघर्ष तारीफ के काबिल रहा.
पूरी सीरीज में कोटला में ही हुई संघर्षपूर्ण बल्लेबाजी
इसे संयोग ही कहिए कोटला में श्रीलंका के बल्लेबाजों के संघर्ष का स्तर ही अलग दिखाई दिया. कोटला टेस्ट मैच की पहली पारी में श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने 135.3 ओवर तक बल्लेबाजी की. दूसरी पारी में भी श्रीलंका की टीम ने 103 ओवर बल्लेबाजी की. 103 ओवर में सिर्फ पांच कामयाबी भारतीय गेंदबाजों को मिली. दूसरी पारी में श्रीलंका के शतकवीर बल्लेबाज डीसिल्वा रिटायर्ड हर्ट हो गए थे. इससे पहले के मैचों के आंकड़े देखिए तो पता चलता है कि किस तरह भारतीय गेंदबाज असरदार साबित हुए थे. सीरीज के पहले टेस्ट में कोलकाता में भारतीय गेंदबाजों ने श्रीलंका की टीम को पहली पारी में 83.4 ओवर में समेट दिया था. दूसरी पारी में सिर्फ 26.3 ओवर में श्रीलंका की टीम के सात बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे. सिर्फ 4-5 ओवर और होते तो कोलकाता टेस्ट का फैसला भारतीय टीम के पक्ष में होता. दूसरा टेस्ट मैच नागपुर में था. नागपुर टेस्ट की पहली पारी में श्रीलंका ने 79.1 ओवर बल्लेबाजी की. दूसरी पारी में श्रीलंका की टीम की हालत और खराब हो गई. श्रीलंका की पूरी टीम 49.3 ओवर में सिमट गई. भारत ने नागपुर टेस्ट पारी और 239 रनों के बडे अंतर से जीता. भारतीय टीम मैनेजमेंट को इस बात का अहसास होना चाहिए कि अभी ‘पैनिक बटन’ दबाने की जरूरत भले ना हो लेकिन दक्षिण अफ्रीका में भारतीय गेंदबाजों को और आक्रामकता दिखानी होगी.