Menu

देश
पल-भर में हजारों-लाखों लोगों को मौत की नींद सुला सकते हैं ‘कैमिकल वैपंस’!

nobanner

रासायनिक एवं जैविक हथियारों की सहायता से हजारों-लाखों लोगों को पल भर में मौत की नींद सुलाया जा सकता है या फिर उन्हें तरह-तरह की बीमारियों की चपेट में लाकर तिल-तिल कर मरने के लिए ब
नई‍ दिल्ली [राहुल लाल]। सीरिया के डोउमा में शनिवार को हुए रासायनिक हथियारों के हमलों से यह साफ है कि अब भी विश्व समुदाय रासायनिक हमले को रोकने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। रासायनिक हथियार, जैविक हथियार एवं परमाणु हथियारों को मूलत: जनसंहारक हथियारों में शामिल किया जाता है। परमाणु हथियारों को लेकर विश्व समुदाय का रुख कुछ कठोर है, परंतु रासायनिक एवं जैविक हथियारों के खिलाफ वैसी कठोरता नहीं है। रासायनिक हमले का अर्थ है किसी युद्ध में रासायनिक पदार्थो के विषैले गुणों का उपयोग करके जन-धन को नुकसान पहुंचाना।

पल भर में हजारों-लाखों लोगों की मौत

रासायनिक हमले अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विस्फोटक बलों पर निर्भर नहीं होते हैं, बल्कि रसायनों के विषकारी घातक प्रभावों पर निर्भर होते हैं। वहीं जैविक हथियारों में किसी व्यक्ति को को मारने अथवा क्षति पहुंचाने के लिए जीवाणु, विषाणु अथवा फफूंदी जैसे टॉक्सिन का प्रयोग किया जाता है। इन रासायनिक एवं जैविक हथियारों की सहायता से हजारों-लाखों लोगों को पल भर में मौत की नींद सुलाया जा सकता है या फिर उन्हें तरह-तरह की बीमारियों की चपेट में लाकर तिल-तिल कर मरने के लिए बाध्य किया जा सकता है। सबसे पहले रासायनिक हथियार के रूप में क्लोरीन गैस का प्रयोग जर्मनी ने प्रथम विश्वयुद्ध के समय किया था।

‘ओबामा ने सही समय पर लिया होता सही फैसला तो इतिहास बन चुके होते असद’
यह भी पढ़ें
जैविक हथियारों से आक्रमण

वहीं जैविक हथियारों से आक्रमण के लिए अत्याधुनिक एवं महंगे साधन की आवश्यकता नहीं होती है। उन्हें तो बस छोटे-मोटे जानवरों, पक्षियों, हवा, पानी, मनुष्य आदि द्वारा फैलाया जा सकता है। यह कल्पना की जा सकती है कि यदि ये रासायनिक एवं जैविक हथियार आतंकवादियों के हाथ लग जाएं तो परिणाम कितने भयावह होंगे? ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर रासायनिक हथियारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समझौतों एवं कानूनों की क्या स्थिति है? 1899 के हेग कन्वेंशन से ही रासायनिक हथियारों का प्रयोग निषिद्ध है। इस पर सबसे नवीनतम संधि 1993 की रासायनिक हथियार कन्वेंशन यानी सीडब्ल्यूसी है, जिसमें रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल, उत्पादन और भंडारण का निषेध किया गया है।