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उत्तराखंड में 11 दिन पहले ही शुरू हो गया सावन, जानें क्यों और क्या है इसका महत्व

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सावन एक ऐसा महीना होता है, जिसका लगभग हर इंसान को सालभर इंतजार रहता है। सावन का संबंध भगवान शिव से भी है। वैसे सावन शब्द आते ही बारिश की फुहारें और हरियाली याद आती है। हिंदू कलेंडर के अनुसार इस साल 27 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा, जो रक्षाबंधन पर खत्म होता है। लेकिन देश का एक राज्य (उत्तराखंड) ऐसा भी है, जहां आज यानी सोमवार 16 जुलाई से ही सावन का महीना लग गया है। सावन माह के पहले दिन यहां एक खास लोकपर्व मनाया जा रहा है, जिसका नाम हरेला है।हिंदू कैलेंडर के अनुसार 27 जुलाई से सावन का महीना शुरू होगा, लेकिन उत्तराखंड में 16 जुलाई से ही यह पावन महीना शुरू हो गया है। दोनों के बीच इस अंतर की खास वजह है। चंद्र मास के अनुसार 27 जुलाई यानी गुरु पूर्णिमा से सावन का महीना शुरू होगा। इस मामले में हमने आचार्य नंदा बल्लभ पंत से बात की। आचार्य ने बताया कि उत्तराखंड में सावन का महीना पहले ही शुरू होने का कारण यहां सूर्य के अनुसार मास का चुनाव है। इसका सीधा अर्थ यह है कि आज यानी 16 जुलाई को सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश कर गए हैं। सूर्य के इसी परागमन के साथ सावन का महीना भी शुरू माना जाता है। हरेले का पर्व न सिर्फ नई ऋतु के शुभागमन की सूचना देता है, बल्कि प्रकृति के संरक्षण को भी प्रेरित करता है। इसीलिए देवभूमि उत्तराखंड में हरेला पर्व लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। अब तो इसी दिन से पौधरोपण अभियान शुरू करने की परंपरा भी शुरू हो गई है। धार्मिक दृष्टि से देखें तो उत्तराखंड को महादेव का वास और ससुराल दोनों माना गया है। इसलिए हरेला पर्व का महत्व भी इस क्षेत्र के लिए खास है। कुमाऊं में तो हरेला लोकजीवन का महत्वपूर्ण उत्सव है।