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गोरक्षा के नाम पर ‘मॉब लिंचिंग’ रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हिंसा(मॉब लिंचिंग) पर रोक लगाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। आज इस मामले पर सुप्रीम अपना फैसला सुनाएगा। तीन जुलाई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। उम्मीद जताई जा रही है कि चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी कर सकती है।सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि मॉब लिंचिंग जैसी हिंसा की वारदातें नहीं होनी चाहिए चाहे कानून हो या नहीं। कोमॉब लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवज़े के लिए इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि धर्म, जाति और लिंग को ध्यान में रखा जाए, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा ये उचित नहीं। पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है, उसे अलग-अलग खांचे में नहीं बांटा जा सकता। इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि अब तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है। वह गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ में लेकर लोगों को मार रहे हैं। महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुई हैं.ई भी समुदाय या समूह कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। संविधान याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने इन घटनाओं से निपटने पर विस्तृत सुझाव कोर्ट के सामने रखे थे। ये सुझाव मानव सुरक्षा कानून (मासुका) पर आधारित हैं। इन सुझावों में नोडल अधिकारी, हाइवे पेट्रोल, एफआइआर, चार्जशीट और जांच अधिकारियों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं।