देश
बताएं, शहर की हेल्थ, इंफ्रा, एजुकेशन, इकोनॉमी और सेफ्टी का हाल
जागरण समूह की इस पहल में आप परिभाषित मानकों पर शहर की जरूरी सुविधाओं यानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, सुरक्षा, सड़क, पानी, बिजली इत्यादि का पारखी नज़रों से मूल्यांकन करेंगे। 01 जुला
विकास के पांच आधारों पर आप अपने शहर का हाल परखें-
स्वास्थ्य/सेहत
कहते हैं कि इलाज से बेहतर बचाव है। अभी 21 जून को हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मैसेज भी यही था। योग भगाए रोग! निरोग रहना सबसे बड़ी नेमत है। तभी सारी दुनिया में आज इस बात पर जोर है कि नागरिकों को कैसे बीमार होने से बचाया जाए। रोगों को कैसे दूर रखा जाए। योग, व्यायाम, जीवन शैली में बदलाव, खान-पान की आदतों में बदलाव और सफाई ये पांच तत्व हैं, जिनसे आप एक स्वस्थ और निरोग शरीर हासिल कर सकते हैं।इसका दूसरा चरण यह है कि बीमार हुए तो बेहतर चिकित्सा सुविधा कैसे उपलब्ध हो? भारतीय शहरों में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और स्तर अलग-अलग है। भारत में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 1.4 फीसदी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होता है, यानी प्रति व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिदिन तकरीबन तीन रुपए खर्च खर्च होते हैं। भारत में दो हजार लोगों पर एक डॉक्टर है। अच्छे डॉक्टर और अच्छे अस्पतालों के जरिए ही स्वस्थ भारत, श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सकता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी सुविधाएं)
सिंधु घाटी की सभ्यता की सबसे बेहतरीन चीज उसकी नगर योजना थी, जिसमें पहली बार सुनियोजित सड़कें, मकान और मकानों में स्नानागार की सुविधा दिखती है। कहते ही रोम की सभ्यता उसकी सड़कों के सहारे विकसित हुई थी। तीर की तरह सीधी सड़कें, जो एक दूसरे को नब्बे डिग्री के कोण पर काटती थीं! सो, विकास की पहली निशानी बुनियादी संरचना है। कोई भी देश उतना ही विकसित होता है, जितनी विकसित उसकी बुनियादी सुविधाएं होती है।