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कभी पांडवों ने पाई थी जीत, अब राम मंदिर के लिए हुआ मां बगलामुखी मंदिर में ‘शत्रु विजय यज्ञ’

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अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त से चल रही नियमित सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी हो, मध्य प्रदेश के आगर मालवा स्थित मां बगलामुखी मंदिर के पंडितों का मानना है कि फैसला राम मंदिर के पक्ष में ही आएगा. दरअसल, मां बगलामुखी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पांडवों ने कौरवों पर विजय पाने के लिए शत्रु विजय यज्ञ किया था. शत्रु विजय यज्ञ के बाद पांडवों को महाभारत के युद्ध में जीत हासिल हुई थी.

तंत्र की देवी हैं मां बगलामुखी
वहीं, राम मंदिर को लेकर जल्द ही फैसला आए इसे लेकर आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर में मौजूद पंडितों ने मां बगलामुखी के दरबार में शत्रु विजय यज्ञ किया. मां बगलामुखी मूलत: तंत्र की देवी हैं. मान्यता है कि मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में चमत्कारिक मां बगलामुखी मंदिर द्वापर काल से मौजूद है. मां बगलामुखी मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि महाभारत से पहले यहां पर पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रेरणा से कौरवों पर जीत हासिल करने के लिए तंत्र साधना की थी. ऐसा माना जाता है कि यहां यज्ञ करने पर शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है. तंत्र-मंत्र क्रियाओं के साथ यज्ञ करने के लिए यह मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है.

कई दिग्गज करवा चुके हैं तंत्र साधना
आपको बता दें कि मां बगलामुखी मंदिर में कई दिग्गज भी तंत्र साधना करवा चुके हैं. यहां तंत्र साधना करवा चुके लोगों में अभिनेता से लेकर बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. मां बगलामुखी मंदिर में तंत्र साधना करवाने वालों में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, पूर्व सांसद उमा भारती, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, अमर सिंह समेत कई नाम शामिल हैं. माना जाता है कि इनमें से सभी को विजय हासिल हुई है.

राम मंदिर के लिए किया गया ‘शत्रु विजय यज्ञ’
वहीं, मां बगलामुखी मंदिर में राम मंदिर के लिए शत्रु विजय यज्ञ करने वाले पंडितों का कहना है कि राम मंदिर के पक्ष में फैसला आए, जल्द से जल्द राम मंदिर बने और जल्द से जल्द इस देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं का सम्मान हो. इसी को लेकर सिद्धपीठ मां बगलामुखी में हवन किया गया है. बता दें कि इस मंदिर में दस पीढ़ियों से पुजारी तंत्र साधना करवाते आए हैं. नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर बना यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है. यहां तंत्र साधना के लिए विशेष प्रकार के यज्ञ, हवन या पूजा-पाठ किए जाते हैं.

महारुद्र की मूलशक्ति के रूप में होती है पूजा
मां बगलामुखी को महारुद्र (मृत्युंजय शिव) की मूल शक्ति के रुप में पूजा जाता है. तीन मुखों वाली मां के मस्तक पर तीसरा नेत्र व मणि है. मंदिर में मां बगलामुखी के साथ श्रीकृष्ण, हनुमान, भैरव, लक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमाएं भी हैं. ऐसी मान्यता है कि मंदिर की स्थापना युधिष्ठिर ने की थी. युधिष्ठिर द्वारा किए गए शत्रु विजय यज्ञ के दौरान स्वयंभू मां बगलामुखी की प्रतिमा प्रकट हुई थी.

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