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लोन माफी मामले में वित्त मंत्री ने दिखाए कड़े तेवर, कांग्रेस को दिए ताबड़तोड़ जवाब

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लोन माफी मामले में कांग्रेस से सवालों पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने तीखे तेवर दिखाए हैं. वित्त मंत्री ने कांग्रेस और राहुल गांधी की सिलसिलेवार ट्वीट के ज़रिए क्लास लगाई. कहा कि 2009 से 2014 तक 1.45 लाख करोड़ रुपए बट्टा खाते (राइट ऑफ) में डालें गए. उन्होने चुटकी लेते हुए कहा है कि बैंक डिफॉल्ट और लोन माफी के मामले पर काश राहुल गांधी मनमोहन सिंह से सलाह ले लेते कि राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) क्या होता है.

कांग्रेस ने लगाए थे आरोप
दरसल कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने 68,607 करोड रुपए के लोन की माफी कर दी है. जिनकी माफी हुई उनमें नीरव मोदी मेहुल चौकसी और विजय माल्या भी शामिल है. राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा था ‘मैंने संसद में 50 बड़े बैंक चोरों के नाम पूछे थे वित्त मंत्री ने जवाब नहीं दिया और अब आरबीआई ने मेहुल चौकसी नीरव मोदी सहित भाजपा के मित्रों को बैंक चोरों की लिस्ट में डाला है.‘

ऐसे दिया वित्त मंत्री ने जवाब
वित्त मंत्री ने कहा 5 करोड़ रुपए के ऊपर के विलफुल डिफॉल्टर के बैंक वाइज डीटेल्स इसी साल मार्च में संसद में दिए गए. इनमें जिनका पैसा बकाया है और जिन्हें राइट ऑफ किया है वह भी शामिल है. कांग्रेस नेता डिफाल्टर के मामले में देश को मिस लीड कर रहे हैं.

वित्त मंत्री ने एक ट्वीट थ्रेड में सिलसिलेवार यह बताया की डिफॉल्टर मामले में क्या क्या हुआ. उन्होंने कहा कि NPA के लिए RBI ने 4 साल का प्रोविजन किया, राइट ऑफ की फुल प्रोविजनिंग करने के बाद ही एनपीए को राइट ऑफ किया गया लेकिन इसके बावजूद भी रिकवरी की कोशिश जारी रही और कोई कर्ज माफ नहीं किया गया.

डिफॉल्टर की परिभाषा बताते हुए उन्होंने बताया कि डिफॉल्टर वह है जो लोन नहीं चुका रहे , बैंक की बिना परमिशन के अपनी प्रॉपर्टी बेच देते हैं वह डिफॉल्टर है. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया और कहा कि ये डिफॉल्टर वह प्रमोटर हैं जो यूपीए की फोन बैंकिंग से संबंधित है.

पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन की बात का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि 2006 से 2008 तक बड़े पैमाने पर बैड लोन दिए गए ये लोन ऊंची रसूख वाले को दिए गए जिनकी हिस्ट्री ही डिफॉल्ट करने की थी. इसके बावजूद भी पब्लिक सेक्टर बैंक उन्हें लोन देते रहे.जबकि प्राइवेट सेक्टर बैंक ऐसी स्थिति से बाहर निकल रहे थे आरबीआई उस समय लोन देने की क्वालिटी पर अलर्ट कर सकती थी.