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हालात ऐसे ही रहे तो हम टास्‍क फोर्स का गठन करेंगे’ : प्रदूषण के मसले पर नाराज सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

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सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण और कोरोना वायरस पर चिंता जताते हुए कहा कि  प्रदूषण बढ़ रहा है तो वायरस का खतरा भी. केंद्र कह रहा है कि कदम उठा रहे हैं. क्या किया जाए?

नई दिल्‍ली : 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रदूषण (Air Pollution) के मुद्दे पर नाराजगी जताई.सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान मुख्‍य न्‍यायाधीश (CJI) ने कहा कि हालात ऐसे रहे तो हम टास्क फोर्स का गठन करेंगे. उन्‍होंने कहा, ‘हम सोच रहे हैं कि हम सभी राज्यों से निर्देशों को लागू करने के लिए कहेंगे. विशेष रूप से धूल नियंत्रण, प्रदूषणकारी उद्योगों की शिफ्टिंग आदि. फिर अगर वे लागू नहीं करते हैं तो हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. टास्क फोर्स इसकी निगरानी करेगी.’सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा दिल्ली एनसीआर में कंस्ट्रक्शन पर बैन लगाया गया है लेकिन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पूरी तेजी से काम कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट की नाक के नीचे काम चल रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट निर्माण गतिविधियों पर पर केंद्र से जवाब मांगा. प्रोजेक्ट निर्माण कार्य पर रोक की मांग पर यह जवाब मांगा गया.केंद्र से पूछा कि कौन से आदेशों पर राज्यों ने पालन नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब से कहा  कि आदेशों का पालन किया जाए एक दिसंबर की शाम तक यह जवाब मांगा गया है, मामले पर अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी.

सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा मेरिट पर सुनवाई की जाए.  इस पर CJI ने कहा आज का AQI 419 है. आगे क्या होगा पता नहीं? हमें प्रदूषण के साथ नए वायरस से भी निपटना है. हमें नहीं पता क्या किया जाए? वायरस मामले से हम अलग निपट सकते है. सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण और कोरोना वायरस पर चिंता जताते हुए कहा कि  प्रदूषण बढ़ रहा है तो वायरस का खतरा भी. केंद्र कह रहा है कि कदम उठा रहे हैं. क्या किया जाए? CJI ने SG से कहा आयोग क्या कर रहा है?  सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को राज्यों तक फारवर्ड कर रहा ह . यह आयोग एक शक्तिशाली आयोग है, इसका गठन प्रदूषण की समस्या के लिए किया गया था. बताएं कि कौन से राज्य निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. हम उनको आदेशों का पालन करने को कहेंगे और स्पष्टीकरण मांगेंगे.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अनुपालन और गैर-अनुपालन के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है, हम अब व्यक्तिगत रूप से अनुपालन के लिए जा रहे हैं. CJI ने कहा, ‘हां सभी इरादे अच्छे हैं और निर्देश दिए गए हैं लेकिन कार्यान्वयन शून्य है.’ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि निर्देशों में भी कुछ विसंगति है. यह कहता है कि धूल वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है और फिर आप धूल प्रबंधन सेल बनाने के लिए कहते हैं लेकिन निर्माण की भी अनुमति नहीं है. CJI ने कहा, हम प्रत्येक राज्य से जवाब मांगेंगे कि उन्होंने किन निर्देशों को लागू किया है अन्यथा हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स बनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. SG ने इस पर कहा कि हमने हर राज्यो के साथ बात की है. केवल एक चीज जो हमने नहीं की वह है आपराधिक कार्रवाई. इस पर CJI ने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जहां जुर्माना आदि लगाने से मदद नहीं मिलेगी, इसे लागू करना होगा.यदि वे लागू नहीं करेंगे, तो टास्क फोर्स बनाना ही एकमात्र रास्ता है.विकास सिंह ने फिर से सेंट्रल विस्टा पर निर्माण कार्य का मुद्दा फिर उठाया इस पर  SG ने कहा कि वो मेरिट पर जवाब देंगे.  CJI ने कहा कि हम केंद्र को इसी तरह जाने नहीं देंगे. अगर फिलहाल हम एक मुद्दे पर बात करेंगे तो मुख्य मामला डाइवर्ट हो जाएगा. हम हर मुद्दे पर जवाब मांगेंगे. CJI ने एसजी तुषार मेहता से कहा आपका कहना है कि आयोग की सलाह का राज्य पालन नही कर रहे हैं. हम उन राज्यों को नोटिस देकर पूछेंगे कि क्यों लागू नही किया? यही नहीं,, दिल्ली के अधिकतर क्षेत्रों की जिम्मेदारी केंद्र की भी है. केंद्र भी बताए कि वो क्या कदम उठा रहा है.  याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट लोगों के जीवन से ज्यादा कीमती नहीं है. हमारे पास वीडियो है कि कैसे उस प्रोजेक्ट से धूल प्रदूषण बढ़ा रही है  जबकि छोटे प्रोजेक्ट बंद हैं दिल्ली सरकार ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने हर मजदूर को पांच हजार रुपए दिए गए हैं कुल 1.47 करोड रूपये जारी किए जा चुके हैं.



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