होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वहीं होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। इस साल होली का ये पावन पर्व 17 और 18 मार्च को मनाया जाएगा। यानी 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 18 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। भारत में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को रंग वाली होली खेली जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि में आहुति देने से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है। साथ ही परिवार में सुख समृद्धि भी बनी रहती है। हालांकि होलिका दहन की पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है। कहा जाता है होलिका दहन के समय कुछ लोगों को इसकी अग्नि नहीं देखनी चाहिए। आइए जानते हैं किन लोगों को होलिका की अग्नि नहीं देखनी चाहिए….
किन लोगों को नहीं देखनी चाहिए जलती हुई होलिका?
मान्यताओं के अनुसार, नवविवाहित स्त्रियों को जलती हुई होलिका नहीं देखनी चाहिए। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है
क्यों नहीं देखनी चाहिए जलती हुई होलिका?
नवविवाहित स्त्रियों को जलती हुई होलिका की अग्नि न देखने के पीछे का कारण होलिका दहन को ही माना जाता है। कहा जाता है होलिका में आप पुराने साल को जलाते हैं। इसके अगले दिन से नए साल की शुरुआत हो जाती है। होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवविवाहित स्त्रियों को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए।