बलिया पर्चा लीक मामला : नकल माफिया पर मेहरबानी…पत्रकारों पर निशाना, प्रशासन के रवैये पर उठे सवाल
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- April 03, 2022
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विस्तार
दरअसल, 29 मार्च को हाईस्कूल की संस्कृत की परीक्षा थी। 28 मार्च की रात को ही बलिया में प्रश्नपत्र व मिलती-जुलती हल की हुई कॉपी वायरल हो गई। 29 मार्च की सुबह छह बजे पत्रकार अजीत ओझा ने इसे तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजकर जांच की बात कही। चार घंटे तक कोई जवाब नहीं आया। दस बजे डीएम इंद्रविक्रम सिंह ने फोन कर प्रश्नपत्र अपने व्हाट्सएप पर मांगा। पत्रकार ने वायरल पर्चा उन्हें भी भेज दिया।
फिर भी, वायरल प्रश्नपत्र से मिलते-जुलते पेपर से ही परीक्षा करवा ली गई। इसी बीच, 29 मार्च की रात अंग्रेजी का पेपर भी वायरल हो गया। इसकी खबर अखबार में छपी भी। 30 मार्च को सुबह करीब साढ़े नौ बजे डीएम ने फोन कर अंग्रेजी का वायरल पेपर मांगा, तो पत्रकार ने उन्हें व्हाट्सएप कर दिया। आश्चर्यजनक रूप से उनके मांगे जाने पर ही भेजे पेपर को वायरल करना बताते हुए पत्रकार अजीत ओझा व अन्य पर केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि, पूरे मामले में प्रशासन की मदद की गई। इसके सुबूत भी मौजूद हैं।
प्रशासन की मदद अपराध कैसे?
प्रशासन ने अपनी गर्दन बचाने के लिए ऐसी कहानी गढ़ी कि नकल माफिया की करतूत उजागर करने वालों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। सवाल है, अगर पत्रकार नकल माफिया से मिले होते, तो प्रशासन को पर्चा लीक होने की सूचना क्यों देते? या प्रशासन को सूचना देना ही अपराध है?
पेपर लीक मामला : पत्रकारों को जेल भेजने पर बिफरे अधिवक्ता
वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज राय हंस ने कहा कि बलिया सहित कुल 24 जनपदों में अंग्रेजी विषय की प्रश्न पुस्तिका परीक्षा शुरू होने से पूर्व सोशल मीडिया पर वायरल होने की सूचना प्रसारित हुई थी।