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विदेश मंत्रालय ने कहा- ‘तीस्ता सीतलवाड़ मामले पर टिप्पणी पूरी तरह से अवांछित, न्यायिक नियमों के तहत कार्रवाई हुई’

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भारत ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की टिप्पणी को ‘पूरी तरह से अवांछित’ करार देते हुए बुधवार को उसे खारिज कर दिया और कहा कि यह देश की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा कि भारतीय प्राधिकार ने स्थापित न्यायिक नियमों के तहत कानून के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई की है।

टिप्पणियां “पूरी तरह से अनुचित” थीं : बागची
ओएचसीएचआर के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ओएचसीएचआर की टिप्पणियां “पूरी तरह से अनुचित” थीं। उन्होंने कहा, “हमने तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के संबंध में मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा एक टिप्पणी देखी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी कानूनी-कार्रवाई को उत्पीड़न बताना, गुमराह करने वाला और अस्वीकार्य है।

ओएचसीएचआर ने मंगलवार को किया था ट्वीट
ओएचसीएचआर ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘भारत : हम तीस्ता सीतलवाड़ एवं दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की हिरासत और गिरफ्तारी को लेकर काफी चिंतित हैं और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग करते हैं। उनकी सक्रियता एवं 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए उनका उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए।’

इस बारे में मीडिया के सवालों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बागची ने कहा कि हमने तीस्ता सीतलवाड़ एवं दो अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी-कार्रवाई को लेकर ओएचसीएचआर की टिप्पणी को देखा। यह टिप्पणी पूरी तरह से अवांछित हैं और भारत की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में सीधे रूप से हस्तक्षेप करती है।

ओएचसीएचआर ने मंगलवार को किया था ट्वीट
ओएचसीएचआर ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘भारत : हम तीस्ता सीतलवाड़ एवं दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की हिरासत और गिरफ्तारी को लेकर काफी चिंतित हैं और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग करते हैं। उनकी सक्रियता एवं 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए उनका उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए।’

इस बारे में मीडिया के सवालों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बागची ने कहा कि हमने तीस्ता सीतलवाड़ एवं दो अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी-कार्रवाई को लेकर ओएचसीएचआर की टिप्पणी को देखा। यह टिप्पणी पूरी तरह से अवांछित हैं और भारत की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में सीधे रूप से हस्तक्षेप करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- तीस्ता की भूमिका की जांच हो
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को शुक्रवार यानी 24 जून को खारिज कर दिया था। यह याचिका जकिया जाफरी ने दाखिल की थी। जकिया जाफरी के पति एहसान जाफरी की इन दंगों में मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मामले में को-पेटिशनर सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। कोर्ट ने तीस्ता की भूमिका की जांच की बात कही थी।

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