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कोहरे से निपटने को ‘फॉगपास’ का सहारा लेगी रेलवे, रूकेगी दुर्घटनायें
हर साल जाड़े में उत्तर भारत भीषण कोहरे की चपेट में रहता है। कोहरे के कारण ट्रेनों की गति पर ब्रेक तो लगता ही है कई मर्तबा दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। इससे रेलवे को काफी क्षति होती है। हर साल कोहरे के कारण किसी न किसी तरीके से सैकड़ों यात्रियों को जान से हाथ भी धोना पड़ता है।
रेलवे अब कोहरे से निपटने के लिए तकनीकी संयंत्र का सहारा लेने जा रही है। कोहरे से निपटने के लिए रेलवे अब सारी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में ‘फॉग पास’ नामक संयंत्र लगाने जा रही है। यह लोको पायलटों को पहले ही खतरे से आगाह कर देगा।
इस संयंत्र की खासियत यह है कि रनिंग ट्रेन में भीषण कोहरे के दौरान लोको पायलटों को 500 मीटर पहले ही पता चल जाएगा कि अमुक स्टेशन का आउटर सिग्नल आने वाला है। ऐसी सूचना मिलते ही लोको पायलट सतर्क हो जाएंगे और ट्रेनों की गति कम कर आउटर सिग्नल पर ध्यान रखेंगे कि यह लाल है या हरा। जिस स्टेशन पर उन्हें रुकना है इसकी सूचना भी उन्हें पांच सौ मीटर पहले ही मिल जाएगी। लोको पायलट पहले से ही सतर्क हो जाएंगे। इस सिस्टम का पूरा नाम है ‘फॉग पायलट असिस्टेंस सिस्टम’।
कैसे काम करेगी यह प्रणाली
यह सिस्टम जीपीएस आधारित होगा। इस संयंत्र में पहले से संबंधित ट्रेनों का पूरा रूट चार्ट फीड किया रहेगा। संयंत्र को पूरी जानकारी रहेगी कि इस ट्रेन को किन-किन स्टेशनों पर रुकना है और किन-किन स्टेशनों पर बगैर रुके ही निकल जाना है।
यह सिस्टम पूरी तरह लांगीच्यूड-लैटीच्यूड (अक्षांश-देशांतर) पर काम करता रहेगा। जैसे ही ट्रेन किसी भी स्टेशन के नजदीक होगी तो इस संयंत्र से स्वत: आवाज आने लगेगी कि अब अमुक स्टेशन से यह ट्रेन कितनी दूर है। संयंत्र पायलट को सतर्क करना शुरू कर देगा। ट्रेन और स्टेशन एवं ट्रेन और आउटर सिग्नल की दूरी को लगातार बताता रहेगा।
‘फॉगपास’ एक ऐसा संयंत्र है जो लोको पायलट को किसी भी स्टेशन का आउटर सिग्नल आने के 500 मीटर पूर्व ही आगाह कर देगा। इस सिस्टम से स्वत: आवाज निकलने लगेगी कि अब आपसे सिग्नल की दूरी कितनी है और यहां से स्टेशन की दूरी कितनी है। पूर्व-मध्य रेल की सारी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में यह सिस्टम 15 दिसंबर के पहले लगा दिया जाएगा। संरक्षा के दृष्टिकोण से यह सही है ही, समय भी कम लगेगा। बेहतर परिणाम मिलेंगे।