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पास के सहारे नेता बनने वालों से पाटीदार नाराज, चुनाव में दे सकते हैं भाजपा का साथ

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आगामी विधान सभा चुनाव में पाटीदार किस पार्टी के साथ जाएंगे इसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेज हो गई है। भाजपा ने पाटीदार भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव खेल दिया है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस भी पाटीदारों के अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगी हैं।

अब सवाल यह उठता है कि पाटीदारों का मंतव्य क्या है। भाजपा सरकार से पाटीदारों का विरोध पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) के जन्म के साथ ही शुरू हो गया था। अब पाटीदारों का कहना है कि अगर सरकार 31 अक्टूबर तक उनकी मांगों को मान लेती है तो वे आगामी विधानसभा चुनाव में उसका समर्थन कर सकते हैं। इसी मुद्दे को लेकर पास ने 4 अक्टूबर को गांधीनगर में बैठक बुलाई थी।

इस बैठक में हार्दिक पटेल (कांग्रेस), गोपाल इटालिया (आप) और निखिल सवाणी पहुंचे ही नहीं। ये तीनों पास के सहारे ही चमके और अब पार्टी से जुड़कर राजनीति कर रहे हैं। इनमें से गोपाल इटालिया और निखिल सवाणी के बैठक में नहीं पहुंचने से पास के कार्यकर्ता नाराज हैं। आगामी विस चुनाव में पाटीदार इनका विरोध कर सकते हैं।

पाटीदारों को उम्मीद कि सरकार उनकी मांगें मान लेगी

राज्य सरकार के नए मंत्रिमंडल में ज्यादातर मंत्री ऐसे हैं जो पास के कार्यकर्ताओं को करीब से जानते हैं। पास को उम्मीद है कि उनकी मांगें जरूर मान ली जाएंगी। पास की दो प्रमुख मांगों में से पहली कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामले वापस लेना और आंदोलन के दाैरान जान गंवाने वालों को परिवारों को आर्थिक सहायता देना है। इसके अलावा अन्य मांगों के लिए पाटीदार इंतजार करने को भी सहमत हुए हैं।

सरकार के सामने किस तरीके से अपनी बात रखी जाए इसका रूपरेखा तय कर ली गई है। सरकार से मध्यस्थता करने के लिए टीम भी तैयार कर ली गई है। सरकार को 31 अक्टूबर तक मांगें स्वीकार करने डेडलाइन दी गई है। कहा जा रहा है कि सरकार भी इस मुद्दे पर सकारात्मक है।

कांग्रेस के हार्दिक पटेल, आप के गोपाल इटालिया व निखिल सवाणी बैठक में नहीं गए

पास की चेतावनी: आंदोलन से निकले नेताओं पर है नजर, समय आने पर उनकी भी की जाएगी खिलाफत

पास ने यह भी कहा है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो आगामी विधानसभा चुनाव में उसके खिलाफ जाएंगे। 31 अक्टूबर तक समिति इंतजार करेगी। उसके बाद सरकार के खिलाफ आगे की रणनीति बनाई जाएगी। पास की गांधीनगर में हुई बैठक सभी पुराने कार्यकर्ताओं को निजी तौर पर इस कार्यक्रम में उपस्थित रहने को कहा गया था। हालांकि उसके बाद भी हार्दिक पटेल, गोपाल इटालिया और निखिल सवाणी इसमें नहीं आए। इस वजह से पाटीदारों ने तय किया है कि पास का सहारा लेकर राजनीतिक कैरियर बनाने और फिर अपने ही लोगों को भूल जाने वालों पर अब नजर रखी जाएगी। समय आने पर उनके खिलाफ में जाने का भी निर्णय लिया जाएगा।

बैठक के समय गांधीनगर में ही थे गोपाल इटालिया

पास के धार्मिक मालवीय ने बताया कि पास से निकले बड़े चेहरे बैठक में नहीं आए। इनमें हार्दिक पटेल राज्य के बाहर थे, लेकिन उन्होंने फोन किया था। पाटीदारों के सहारे सूरत में अपनी और आप की राजनीति चमकाने वाले गोपाल इटालिया और निखिल सवाणी नहीं आने से नाराजगी है। गोपाल बैठक के समय गांधीनगर में ही थे, लेकिन उन्होंने फोन तक नहीं किया।

चुनाव में समर्थन देने को कह सकती है सरकार

सूत्रों के अनुसार इस बार सरकार के साथ पास की बैठक सफल हो सकती है। कई मंत्री पास के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं। पास ने पहले ही कह दिया है कि यदि सरकार ने उनकी बात मन ली तो समिति को भंग कर दिया जाएगा। कार्यकर्ता अपनी मनचाही राजनीतिक पार्टी में जा सकते हैं। सरकार भी पास के सामने चुनाव में समर्थन का प्रस्ताव रख सकती है।

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