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दीपा ने पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर रचा इतिहास, बेहद दर्द भरी कहानी है भारत की इस बेटी की
दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवा से ग्रस्त है. वह सेना के अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की मां हैं. 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था, दीपा के 31 ऑपरेशन किए जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे. गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भाग लिया था. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में पदक जीत चुकी है. भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे. दीपका का रजत पदक भारत का पैरालंपिक खेलों में तीसरा पदक है. उनसे मरियप्पन थांगवेलु और वरुण सिंह भाटी ने पुरूषों की उंची कूद में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे.
दिग्गज खिलाड़ियों ने दीपा की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सचिन तेंदुलकर और अभिनव बिंद्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इतिहास रचने वाली दीपा मलिक की जमकर प्रशंसा की. दीपा पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर यह कारनामा करने वाली पहली महिला खिलाड़ी हो गई हैं. दीपा ने रियो डि जेनेरियो पैरालंपिक खेलों में गोलाफेंक एफ 53 स्पर्धा में रजत पदक हासिल किया.
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर बधाई देते हुए कहा, ‘शानदार, दीपा. पैरालंपिक में आपके रजत पदक ने राष्ट्र को गौरवांवित किया है। बधाइयां.’ महान क्रिकेटर तेंदुलकर ने कहा कि पैरालंपिक में लाजवाब प्रदर्शन के लिए बहुत बहुत बधाई दीपा और बहुत सारी जीत के लिए शुभकामनाएं. बिंद्रा ने कहा, ‘बहुत बहुत बधाई दीपा. आप भारत के लिए एक प्रेरणा हैं.’