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चीन को रोकने के लिए अब उसी की राह पर निकला भारत, सेशेल्‍स बना नया पड़ाव

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यह अच्छी बात है कि सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉर की हालिया भारत यात्रा के दौरान एजंप्शन द्वीप पर दोनों देशों द्वारा साथ मिलकर नौसैनिक अड्डा बनाने पर सहमति बन ही गई।
[डॉ. रहीस सिंह]। यह अच्छी बात है कि सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉर की हालिया भारत यात्रा के दौरान एजंप्शन द्वीप पर दोनों देशों द्वारा साथ मिलकर नौसैनिक अड्डा बनाने पर सहमति बन ही गई, जिसे लेकर बीते लगभग एक महीने से आशंकाएं जताई जा रही थीं। भारत के लिए यह सामरिक लिहाज से बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि चीन लगातार अपनी पैठ हिंद महासागर के द्वीपों में बना रहा है और यह भी माना जा रहा है कि पिछले दिनों सेशेल्स में विपक्षी दलों ने भारत को लेकर जो विरोध किया था, उसमें चीन का अहम किरदार था। बड़ी उपलिब्ध इसलिए भी कि यदि भारत सेशेल्स को राजी नहीं कर पाता तो एजंप्शन द्वीप में चीन या फिर कोई यूरोपीय देश, मसलन फ्रांस नौसैनिक अड्डा बनाने की कोशिशें करता और हिंद महासागर में चीन के इस तरह सैन्य विस्तार का मतलब है, भारत के लिए चुनौतियों व खतरों का बढ़ना। पर भारत बाजी पलटने में कामयाब रहा। फिर भी कुछ प्रश्न हैं। पहला सवाल, सेशेल्स इतना अहम क्यों है और सेशेल्स के जरिए हम अन्य पड़ोसियों एवं हिंद महासागर के द्वीपीय देशों को क्या संदेश दे सकते हैं? दूसरा, क्या भारत अब ओसीन अथवा ब्लू वॉटर डिप्लोमेसी की रणनीति को बदलने की कोशिश में है ताकि वह सामुद्रिक ताकत बन सके?

सामरिक साझेदारी का नया युग
सेशेल्स के साथ दोस्ती अथवा सामरिक साझेदारी का नया युग सही अर्थो में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सेशेल्स यात्रा से शुरू हुआ। उसी यात्रा के दौरान सेशेल्स के एजंप्शन द्वीप पर नौसैनिक अड्डा बनाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी। मोदी की वह सेशेल्स यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा लगभग 34 वर्षो के बाद की गई यात्रा थी। इसका तात्पर्य है कि बीते साढ़े तीन दशक में भारत ने हिंद महासागर के द्वीपीय देशों की ओर ठीक से देखा ही नहीं। स्वाभाविक है कि भारतीय सामरिक नीति हिंद महासागर के द्वीपीय या छोटे देशों की महत्ता का आकलन भी नहीं कर पाई होगी। जबकि ये द्वीपीय देश न केवल दक्षिण एशियाई कूटनीति में भारत का पलड़ा भारी कर सकते थे, बल्कि वैश्विक कूटनीति के लिहाज से भी भारत के पक्ष में कुछ नए संतुलनों व रणनीतियों को जन्म दे सकते थे। भारत की इस कूटनीतिक निष्क्रियता व अदूरदर्शिता का लाभ चीन ने उठाया और वह इस हिंद महासागरीय देश से मजबूत रिश्ता बनाने में सफल हो गया।

ध्यान रहे कि लगभग 84 हजार की आबादी वाला सेशेल्स भले ही एक बहुत छोटा देश हो, किंतु भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। सेशेल्स के साथ भारत का प्रमुख मुद्दा रक्षा और सामुद्रिक सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग संबंधी है, जिसे सुदृढ़ करना भारत की प्राथमिकता है। इस क्षेत्र में समुद्री दस्युओं के आधिक्य को देखते हुए भारत सेशेल्स पीपुल्स डिफेंस फोर्सेस (एसपीडीएफ) की क्षमता मजबूत करने की कोशिश लगातार कर रहा है। सेशेल्स का जल सीमा क्षेत्र 1.3 मिलियन वर्ग किमी से भी ज्यादा विस्तृत अनन्य आर्थिक क्षेत्र (एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन- ईईजेड) भी रखता है, इसलिए भारत ने उसकी निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए उसे नौसैनिक जहाज आइएनएस तरासा दिया, जो सेशेल्स कोस्ट गार्ड के बेड़े में पीएस कांस्टैंट के नाम से शामिल हो चुका है।

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