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अंतरिक्ष में हाई वोल्‍टेज ट्रांसफॉर्मर लगाने के प्‍लान पर काम कर रहा चीन, जानें क्‍या है स्‍पेस से धरती पर इलेक्‍ट्रिसिटी लाने वाली यह योजना

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चीन साल 2030 तक अपना पहला अंतरिक्ष यात्री मिशन चांद पर करने का प्लान कर रहा है। इस प्लान के मुताबिक चीन चांद पर पहला अंतरिक्ष यात्री उतारने का प्लान कर रहा है। चीन की महत्वकांक्षा यहीं पर खत्म नहीं होती है वो बृहस्पति और मंगल में भी खोजी अभियान शुरू करना चाहता है।
हांगकांग की साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट ने बताया, चीन एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (CAST), देश की लीडिंग स्टेट ऑनरशिप की स्पेसक्राफ्ट निर्माता है जो साल 2028 में “स्पेस हाई वोल्टेज ट्रांसफर और वायरलेस पावर ट्रांसमिशन प्रयोग” को लागू करने की क्षमता रखती है।

चीन सेंट्रल कॉन्सेप्ट सोलर एनर्जी के साथ एक स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है। ये ऐसा स्पेस स्टेशन होगा जो सौर ऊर्जा को बिजली में बदल देता है। ये एक माइक्रोवेव ट्रांसमीटर या लेजर उत्सर्जक जो बिजली को अर्थ पर भेज सके। ये उपग्रह 10 किलोवाट बिजली पैदा करने में सक्षम होगा, जो कुछ घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त होगा। इसमें एक सोलर सेल ऐरे, एक माइक्रोवेव ट्रांसमिटिंग एंटीना, एक लो-पावर लेजर ट्रांसमिशन पेलोड, एक ट्रांसमिटिंग ऐरे और ऑर्बिट से 400 किलोमीटर की दूरी पर टेस्ट पावर ट्रांसफर शामिल होगा। इसके पहले फेज का टेस्ट आने वाले दिनों पूरा हो जाएगा। वहीं साल 2030 में इसके दूसरे फेज के पूरा होने की उम्मीद की जा रही है। इसे जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (भूस्थिर कक्षा) में लॉन्च किया जाएगा और इसके लिए पृथ्वी पर 35,800 किलोमीटर की दूरी पर सटीक ऊर्जा ट्रांसफर की जरूरत होगी।



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