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पाकिस्तानी आतंकी का कबूलनामा, ‘मुझे फौज के लोगों ने ट्रेनिंग दी, जमात ने भेजा’

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कश्मीर में पकड़े गए लश्कर आतंकी बहादुर अली ने आज कबूल किया कि उसे पाकिस्तान से ट्रेनिंग देकर भेजा गया था। आज एनएआई ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में बहादुर के कबूलनामे वाला वीडियो दिखाया जिसमें वह कह रहा है कि कैसे उसे ट्रेनिंग देकर कश्मीर भेजा गया।

बहादुर ने कहा कि मेरा नाम बहादुर अली है। हिंदुस्तान की फौज जुल्म करती है। जमात उद दावा ने मुझे मुजफ्फराबाद में ट्रेनिंग दिलाई और कश्मीर भेजा। पाकिस्तान फौज के लोगों ने मुझे ट्रेनिंग दी। कंपास, गूगल मैप से मुझे ठिकाने की जानकारी दी गई। 2014 में मुझे ट्रेनिंग दी गई।

पाकिस्तानी आतंकी का कबूलनामा, ‘मुझे फौज के लोगों ने ट्रेनिंग दी, जमात ने भेजा’

बहादुर ने कहा कि मुझे कहा गया दंगा फसाद करके माहौल खराब करो। मुझे बताया गया कि भारतीय फौज मुस्लिमों पर जुल्म कर रही है। मुझे 50 हजार रुपये भी दिए गए। मुझसे अफगानिस्तान की तरह जेहाद करने की बात कही।

एनआईए ने बताई पूरी कहानी

प्रेस कांफ्रेंस में एनआईए के आईजी संजीव सिंह ने कहा कि हमें 25 जुलाई को जानकारी मिली थी कि कुपवाड़ा में एक संदिग्ध आदमी घूम रहा है। उसके पास से बहुत पावरफुल रेडियो सेट मिला। जीपीएस, कम्पास और भारतीय करेंसी जैसी और कई चीजें मिलीं। लोकल पुलिस से सवाल जवाब में उसने सही से जवाब नहीं दिए।

जांच में उसने वो जगह दिखाई जहां असलहा (AK-47) रखा था। वो लश्कर का आतंकी है जो भारत में आतंकी हमला करने के मकसद से आया था। उसके बताने पर हमने 4 और आतंकियों को पकड़ा है। 6 रेडियो सेट और पकड़े गए हैं, 4 AK-47 राइफल बरामद हुई हैं। लश्कर-ए-तोइबा इस साल पकिस्तान आर्मी की मदद से भरी मात्रा में असला लिए हुए आतंकियों को बॉर्डर पास करवा रही है। कश्मीर की मौजूदा स्थिति का फायदा उठाते हुए ये ग्रेनेड वगैरह लेकर चल रहे हैं।

आईजी संजीव ने बताया कि एके 47 का नंबर निकालकर ये पता कर रहे हैं वो कैसे आया है। इक्यूपमेंट की कंपनी से पता निकाला जा रहा है कि कैसे वो पहुंचा है। कुछ ऐसी बातें हैं जो हमको मालूम है। वो हम नही बताएंगे, एवीडेंस कलेक्ट कर रहे हैं। बहादुर ये बताता है कि उसके पिता पंजाब प्रोविन्स में पुलिस में थे। ये आठवे नंबर का है। आठवी नौवी पढ़ा है। ये बहुत ही शार्प, लर्निंग कैपेसिटी बहुत अच्छी है। 1995 की जन्मतिथि है। इसने पिछले इलेक्शन में वोट भी किया था।

आईजी ने कहा, बिना मिलिट्री एक्सपर्ट के ये संभव नहीं है। इस पूरे ग्रुप का कंट्रोल किया जाता था। बहादुर अली को बताया गया था कि ईद के पास बुरहान वानी नाम के आदमी को मारा गया है। उसके विरोध में तुम भी शामिल होकर अटैक करो। बहादुर अली की भर्ती तमाम तरह के भड़काऊ वीडियो दिखाए गए। हिंदुस्तान में जेहाद करने के लिए कहा जाता था। पहली ट्रेनिंग 2013-14 में की। 13-14 में ही लौटकर इसने लाहौर ऑफिस में काम किया। फिर दूसरी ट्रेनिंग में गया। तीसरी ट्रेनिंग आने के पहले की। कैंप में 30-50 लोग होते थे। पश्तो बोलने वाले लोग भी थे उस ट्रेनिंग में थे। इनको बताया गया कि ट्रेनिंग के बाद ये अफगानिस्तान जाएंगे। कश्मीर में मारे गए आतंकियों का नमाज ए जनाजा कैंप में ही पढ़ा जाता है।

संजीव सिंह ने बताया कि एनआईए की जांच में ये पता चला कि गर्मी के शुरू होने के समय से लश्कर के आंतकी एलओसी पर सक्रिय हैं। इनसे जो आर्म्स बरामद हुआ है उससे पता चलता है कि इनकी ट्रेनिंग में मिलिट्री की टेक्नोलॉजी और ट्रेनर का इस्तेमाल हुआ है। इन नक्शों को अनजान टेरेटरी में जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बहादुर ने बताया कि दाखिल करवाने वाले लोगों ने ये बताया कि वो बॉर्डर पर लोगों से बात कर रहे हैं कि किधर से जाना आसान होगा। अंदर आने के बाद अल्फा 3 से संपर्क बना हुआ था। अल्फा 3 एक कंट्रोल रूम है, वहां से कश्मीर से कम्युनिकेशन हो सकता है। सबसे खास बात ये है कि वायरलेस सैट स्पेशल है। इससे sms भी कर सकते हैं।



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